पहले तो अच्छे से जान लें की आरक्षण बला क्या है !
कृपया कर इसके बारे मैं पूरा पढ़ कर फिर पढ़े की यह किस तरह देश के लिए खतरनाक है !! ****
देश की सबसे बड़ी त्रासदी है आरक्षण!
देश में आरक्षण (रिजर्वेशन) का मुद्दा सालों से चला आ रहा है। आजादी से पहले ही नौकरियों और शिक्षा में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण देने की शुरुआत कर दी गई थी। इसके लिए अलग-अगल राज्यों में विशेष आरक्षण के लिए आंदोलन होते रहे हैं। राजस्थान में गुर्जर, हरियाणा में जाट और अब गुजरात में पाटीदारों (पटेल) ने आरक्षण की मांग उठाई है।
कैसे हुई आरक्षण की शुरुआत
- आजादी के पहले प्रेसिडेंसी रीजन और रियासतों के एक बड़े हिस्से में पिछड़े वर्गों (बीसी) के लिए आरक्षण की शुरुआत हुई थी। महाराष्ट्र में कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति साहूजी महाराज ने 1901 में पिछड़े वर्ग से गरीबी दूर करने और राज्य प्रशासन में उन्हें उनकी हिस्सेदारी (नौकरी) देने के लिए आरक्षण शुरू किया था। यह भारत में दलित वर्गों के कल्याण के लिए आरक्षण उपलब्ध कराने वाला पहला सरकारी आदेश है।
- 1908 में अंग्रेजों ने प्रशासन में हिस्सेदारी के लिए आरक्षण शुरू किया।
- 1921 में मद्रास प्रेसिडेंसी ने सरकारी आदेश जारी किया, जिसमें गैर-ब्राह्मण के लिए 44 फीसदी, ब्राह्मण, मुसलमान, भारतीय-एंग्लो/ईसाई के लिए 16-16 फीसदी और अनुसूचित जातियों के लिए 8 फीसदी आरक्षण दिया गया।
- 1935 में भारत सरकार अधिनियम 1935 में सरकारी आरक्षण को सुनिश्चित किया गया।
- 1942 में बाबा साहब अम्बेडकर ने सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग उठाई!
