जब भगवन किसी इंसान के जीवन कि किताब बनाता है तो वो उस किताब के केवल दो पेज ही लिखता है ,एक तो उसका जन्म और दूसरा उसकी मृत्यु | बाकी पूरी किताब खाली होती है जिसमे इंसान अपने अच्छे और बुरे कर्मो कि एक सूचि तैयार करता है | इंसान मरने के बाद का स्थान अपने कर्मो के द्वारा निर्धारित करता है | कहते है अच्छे कर्म करो तो स्वर्ग मे जगह मिलेगी और बुरे कर्म करो तो नर्क मे | वो इंसान खुद निर्धारित करता है उसको जाना कहा है |
ये बाते तो सभी जानते है की उनका भविष्य उनके कर्म पर निर्धारित है ,और ये भी जानते है कि इंसान कि मृत्यु के बाद मर्त व्यक्ति के लिए गरुण पुराण का पाठ किया जाता है | पर क्यों किया जाता है ये कोई नहीं जानता | शास्त्रों ने बताया है की जिस मनुष्य का जन्म हुआ है वो इस धरती से जाएगा ही बस कोई पहले तो कोई बाद मे पर जाना जरुरी है क्योकि जो चीज इस धरती मे जन्म लेती है उसका नष्ट होना प्रकृति है |
इंसान कि मृत्यु के बाद कुछ धार्मिक परंपरा है जो उसके घर वालो को पूरी करना पड़ता है | उनमे से एक है किसी कि मृत्यु के बाद उसके घर मे "गरुण पुराण " का पाठ होना | माना जाता है कि गरुण पुराण उस मृत व्यक्ति कि मुक्ति का आखरी राश्ता होता है | एक अंतिम सीडी होती है जिसकी सहायता से मरने वाले को उसके कर्मो के हिसाब से स्थान मिलता है | और उसकी आत्मा को शांति मिलती है |कहते है अकाल मृत्यु होने वाले की आत्मा को शांति नहीं मिलती तो यह "गरुण पुराण " का पाठ उसकी आत्मा की शांति के लिए होता है |
गरुण पुराण मे ऐसे कई सवाल के जवाब है जो आम इंसान जानने मे उत्सुक होता है | गरुण पुराण के रहस्यों को समझने के बाद मृत व्यक्ति के घर वालो को दुःख सहने कि शक्ति मिलती है | और वो ये समझ जाते है कि इंसान को कैसे कर्म करने चाहिए |


