शिव , जिन्हें कई नाम से जाना जाता है ,बाबा भोलेनाथ, शिवशंकर,शिवशम्भू, शिवजी, नीलकंठ, रूद्र , कई सारे नाम है भगवान शिव के और हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं में सबसे श्रेष्ठ भगवान शिव शंकर को माना जाता है । भगवान शिव जिन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है, देवता ही नहीं बल्की असुर भी भगवान शिव के उपासक रहे हैं। अगर आज हम हिन्दू धर्म को मानने वाले लोगों में देखें तो शिव के उपासक ज्यादा हैं।
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भगवान शिव के उपासक इसलिए अधिक हैं क्योकिं भगवान शिव सरल और सलिल स्वाभाव के हैं । जैसे भगवान शिव समझने में सरल हैं ऐसे ही इनकी पूजा विधि भी सरल है। मान्यता कहती है कि शिव को सच्चे मन से याद करने से ही शिव अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं इनकी पूजा में किसी प्रकार की किसी दिखावे की जरूरत नहीं होती। भगवान शिव को केवल जलाभिषेक, बेलपत्ती और सच्चे मन से इनका आवाहन ही बहुत है।
हिन्दू धर्म में सप्ताह के पहले दिन यानी कि सोमवार को शिव की आराधना का दिन माना जाता है। जिसमें हर सोमवार पूजा और अर्चना की जाती है और कुछ लोग व्रत भी लेते हैं , परन्तु साल में आने वाली एक शिवरात्रि का बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है । यह एक ऐसा मुख्य पर्व है, जिसे बहुत बड़े रूप में रुप में पूरे देश भर में मनाया जाता है । शिवरात्रि साल में दो बार आती है। एक तो फाल्गुन के महीने में कृष्णा पक्ष में आती है जिसको महाशिवरात्रि कहते हैं, इस दिन भगवान शिव के विवाह ही मान्यता मानी गई है, और दूसरी श्रावण मास में आती है ।दूसरी महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव के सभी भक्त कावड़ के जरिये गंगाजल लाते हैं और भगवान शिव को स्नान करवाया जाता है।
इस साल 21 फरवरी 2020 को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी, और जिसका पूजन महूर्त सुबह 4:08 से शुरू है । चतुर्थी की शुरुआत 21 फरवरी सुबह 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी 2020 समय सुबह 7 बजकर 2 मिनट तक है ।
सुबह जल्दी उठकर नहाकर लें और साफ वस्त्र पहने । पूजा का संकल्प करें और शिव मंदिर में जाएं । मंदिर में जाकर सबसे पहले सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें उसके बाद माता पार्वती जी का पूजन करें फिर नन्दीश्वर और कार्तिकेय का पूजन करें। एक बात ध्यान रखें कि महिलाएं कार्तिकेय का पूजन न करें। अब इसके बाद आप भगवान शिव का पूजन शुरू करें ।इसके लिए सबसे पहले शिव को पंचामृत से स्नान कराएं , फिर उन्हें साफ़ जल से स्नान करवाएं । अब इसके बाद उन्हें भांग, धतुरा, बेल पत्र,इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, वस्त्र, जनेऊ ये सब चढाएं। इसके बाद उन्हें भोग लगाएं और उनकी कथा पड़ें । इसके बाद आरती करें और उनका पूजन संपन्न करें । इस दिन आपको व्रत लेना होता है और पूरी पूजा के समय सिर्फ ॐ नमः शिवाए का जाप करना है । इस तरह पूजा पूरी करें ।