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Aanchal Singh

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कंप्यूटर का आविष्कार कब हुआ?


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university.nakul@gmail.com | पोस्ट किया


कंप्यूटर मानव सभ्यता का एक महत्वपूर्ण आविष्कार है, जिसने हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है। यह न केवल गणना और डेटा प्रबंधन में हमारी मदद करता है, बल्कि यह विज्ञान, शिक्षा, व्यापार, चिकित्सा और मनोरंजन के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव लाया है। हालांकि कंप्यूटर का वर्तमान रूप बहुत उन्नत और जटिल है, इसका विकास एक लंबी और जटिल यात्रा का परिणाम है।

 

कंप्यूटर का आविष्कार एक क्रमबद्ध प्रक्रिया रही है, जिसमें कई वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और गणितज्ञों ने योगदान दिया। इस यात्रा को समझने के लिए हमें इतिहास में पीछे जाकर देखना होगा, जब इस उपकरण के पहले स्वरूप का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं कि कंप्यूटर का आविष्कार कब हुआ और इसके विकास में किन प्रमुख व्यक्तियों और घटनाओं ने भूमिका निभाई।

 

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कंप्यूटर का प्रारंभिक इतिहास

कंप्यूटर का इतिहास एक लंबी प्रक्रिया है, जो सैकड़ों वर्षों से जुड़ा हुआ है। पहले पहलुओं में गणना के लिए मानव ने यांत्रिक उपकरणों का उपयोग करना शुरू किया था, जो आगे चलकर कंप्यूटर के रूप में विकसित हुए।

 

1. अबेकस (Abacus)

कंप्यूटर का पहला रूप अबेकस (Abacus) था, जिसे लगभग 2400 ईसा पूर्व चीन और Mesopotamia में इस्तेमाल किया गया। यह एक यांत्रिक गणना यंत्र था, जिसमें लकड़ी की छड़ियों पर तार या बत्तियां लगी होती थीं। अबेकस का प्रयोग गणना करने के लिए किया जाता था, और यह आज के कंप्यूटरों के प्राचीन पूर्वज के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि यह उपकरण पूरी तरह से ऑटोमेटेड नहीं था, फिर भी इसकी गणना क्षमता ने इसे एक महत्वपूर्ण स्थान दिलवाया।

 

2. पाश्कलिन (Pascaline)

कंप्यूटर के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था 17वीं सदी में फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल (Blaise Pascal) द्वारा डिज़ाइन किया गया पाश्कलिन। यह एक यांत्रिक गणना यंत्र था जिसे 1642 में पास्कल ने विकसित किया। पाश्कलिन गणना की सरल प्रक्रिया को स्वचालित करने का पहला प्रयास था, जिसमें जोड़ और घटाव की क्रियाएं की जा सकती थीं।

 

3. लेबनिज़ की गणना मशीन (Leibniz's Step Reckoner)

जर्मन गणितज्ञ गॉटफ्रीड विल्हेम लेबनिज़ (Gottfried Wilhelm Leibniz) ने 1673 में एक यांत्रिक गणना यंत्र स्टीप रेकनर (Step Reckoner) को डिजाइन किया। यह यंत्र पाश्कलिन से अधिक उन्नत था, क्योंकि इसमें गुणा और भाग की क्रियाएं भी की जा सकती थीं। इस मशीन का आविष्कार एक और कदम था कंप्यूटर के विकास की दिशा में, क्योंकि इसमें अधिक जटिल गणनाओं के लिए स्वचालन की दिशा में सुधार किया गया था।

 

चार्ल्स बैबेज और पहले कंप्यूटर का डिज़ाइन

कंप्यूटर के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण नाम चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) का है। उन्हें "कंप्यूटर का पिता" भी कहा जाता है। बैबेज ने 1830 के दशक में "डिफरेंस इंजन" (Difference Engine) और "एनालिटिकल इंजन" (Analytical Engine) का डिज़ाइन तैयार किया, जो आधुनिक कंप्यूटरों की नींव थे।

 

1. डिफरेंस इंजन

बैबेज का डिफरेंस इंजन एक यांत्रिक गणना यंत्र था, जिसे मुख्य रूप से गणना के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसका उद्देश्य गणना की गलतियों को कम करना था, विशेष रूप से तालिकाओं की गणना में। डिफरेंस इंजन को पूरी तरह से विकसित नहीं किया जा सका, लेकिन इसके डिज़ाइन ने बाद में कंप्यूटर के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

 

2. एनालिटिकल इंजन

बैबेज का दूसरा और अधिक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था एनालिटिकल इंजन, जिसे आधुनिक कंप्यूटर का अग्रदूत कहा जाता है। एनालिटिकल इंजन एक पूर्ण स्वचालित यांत्रिक गणना मशीन थी, जिसमें इनपुट, प्रोसेसिंग और आउटपुट की पूरी प्रक्रिया शामिल थी। यह पहला यांत्रिक उपकरण था जिसमें ब्रांचिंग और लूपिंग जैसे नियंत्रण ढांचे को लागू किया गया था। हालांकि बैबेज इसका निर्माण पूरा नहीं कर पाए, लेकिन उनके डिज़ाइन ने आधुनिक कंप्यूटरों के लिए आधार तैयार किया।

 

ऑगस्टा एडा लवलेस: पहले कंप्यूटर प्रोग्रामर

बैबेज के साथ काम करने वाली ऑगस्टा एडा लवलेस (Ada Lovelace) ने एनालिटिकल इंजन के लिए पहला प्रोग्राम लिखा, और उन्हें "पहला कंप्यूटर प्रोग्रामर" माना जाता है। उन्होंने एनालिटिकल इंजन के संचालन के लिए एक एल्गोरिदम तैयार किया, जो कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का प्रारंभिक रूप था। उनके योगदान ने कंप्यूटर विज्ञान की नींव को मजबूत किया।

 

20वीं सदी का कंप्यूटर विकास

20वीं सदी में तकनीकी विकास और वैज्ञानिक अनुसंधान ने कंप्यूटर के निर्माण को एक वास्तविकता में बदल दिया। इस दौर में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी, जो कंप्यूटर के आधुनिक रूप के रूप में सामने आईं।

 

1. एलेन ट्यूरिंग और ट्यूरिंग मशीन

ब्रिटिश गणितज्ञ एलेन ट्यूरिंग (Alan Turing) ने 1936 में ट्यूरिंग मशीन (Turing Machine) का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसे गणना के सिद्धांत के रूप में देखा जाता है। ट्यूरिंग मशीन ने कंप्यूटर के सिद्धांत को समझने में मदद की और इसे गणना के सार्वभौमिक मॉडल के रूप में स्थापित किया। उनका विचार था कि अगर किसी मशीन में पर्याप्त संग्रहण और निर्देश हो, तो वह किसी भी गणना को पूरी तरह से कर सकती है।

 

2. पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर: ENIAC

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जे प्रेस्पर एकर्ट और जॉन विइज़ (John W. Mauchly) द्वारा 1945 में दुनिया का पहला पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer) विकसित किया गया। ENIAC ने लाखों गणनाओं को सेकंडों में किया, जो पहले संभव नहीं था। यह 30 टन वजनी और 1,800 ट्यूब्स से बना था, और इसके द्वारा किए गए कार्यों ने कंप्यूटर के विकास में क्रांति ला दी।

 

3. ट्रांजिस्टर और माइक्रोप्रोसेसर

ENIAC के बाद कंप्यूटरों में सुधार का सिलसिला जारी रहा। 1950 और 1960 के दशक में ट्रांजिस्टर (Transistor) का आविष्कार हुआ, जिसने कंप्यूटरों के आकार को छोटा और गति को तेज किया। बाद में माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) के आविष्कार ने कंप्यूटरों को छोटे और सस्ते बनाना संभव किया, जिससे व्यक्तिगत कंप्यूटर का युग शुरू हुआ।

 

4. पर्सनल कंप्यूटर (PC)

1970 के दशक के अंत में आईबीएम (IBM) और एप्पल (Apple) जैसी कंपनियों ने पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण शुरू किया। Apple II (1977) और IBM PC (1981) ने व्यक्तिगत कंप्यूटरों को आम लोगों तक पहुँचाया और कंप्यूटर के इस्तेमाल का तरीका बदल दिया।

 

निष्कर्ष

कंप्यूटर का आविष्कार और विकास एक लंबी और जटिल प्रक्रिया रही है, जो कई वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के योगदान का परिणाम है। इसके प्रारंभिक रूप अबेकस और पाश्कलिन से लेकर आधुनिक युग के माइक्रोप्रोसेसर तक के सफर ने कंप्यूटर को इतना शक्तिशाली और उपयोगी बना दिया कि यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। आज कंप्यूटर हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू में गहराई से जुड़ा हुआ है, और इसके बिना आज का संसार कल्पना से बाहर हो सकता है।

 

इसकी पूरी यात्रा ने यह साबित कर दिया है कि विज्ञान और तकनीकी नवाचार के बिना विकास संभव नहीं होता। कंप्यूटर का आविष्कार न केवल गणना में सहायक है, बल्कि यह मानवता की प्रगति के लिए एक महान उपकरण बन चुका है।

 


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