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Himani Saini

| पोस्ट किया | शिक्षा


संयुक्त राष्ट्रसंघ (UNO) की स्थापना कब है ?


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चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई थी। संयुक्त राष्ट्र 1945 में स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। वर्तमान में इसमें शामिल सदस्य राष्ट्रों की संख्या 193 है। इसका मिशन एवं कार्य इसके चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होता है। तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों का विशेष एजेंसियों द्वारा इन्हें कार्यवनित किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना मानव अधिकारों की रक्षा करना, मानवीय सहायता पहुंचाना, सतत विकास को बढ़ावा देना और अंतरराष्ट्रीय कानून का भली भाँती कार्यन्वयन में करना शामिल है।

 

तो चलिए अब हम आपको बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना का इतिहास:-

 

वर्ष 1999 में विवादों और संकट की स्थितियों को शांति से निपटने,युद्ध रोकने एवं युद्ध के नियमों को संहिताबद्ध करने हेतु हेग में अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन आयोजित किया गया था।

 

इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांति पर निपटा के लिए कन्वेंशन को अपनाया गया एवं वर्ष 1902 में स्थाई मध्यस्थता न्यायालय की स्थापना की गई, जिसने वर्ष 1902 में कार्य करना प्रारंभ किया यह संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की पूर्ववर्ती संस्था थी।

 

 संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंग है :-

 

  •  संयुक्त राष्ट्र महासभा।
  •  सुरक्षा परिषद।
  •  संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद।
  •  संयुक्त राष्ट्र न्यास परिषद।
  •  अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय।
  •  संयुक्त राष्ट्र सचिवालय।

 

इन सभी 6 अंगों की स्थापना वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय की गई थी।

 

संयुक्त राष्ट्र महासभा :- महासभा संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण अंग यह विचार -विमर्श, नीति- निर्धारण जैसे कार्यों के लिए उत्तरदाई है।

 

महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व है,जो इसे सार्वभौमिक प्रतिनिधित्व वाला एकमात्र संयुक्त राष्ट्र निकाय बनता है।

 

महासभा के अध्यक्ष को प्रत्येक वर्ष महासभा द्वारा एक वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना जाता है।

 

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university.nakul@gmail.com | पोस्ट किया


संयुक्त राष्ट्रसंघ, जिसे अंग्रेजी में United Nations (UN) कहा जाता है, विश्वभर के देशों के बीच सहयोग और शांति स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना, सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, और मानवाधिकारों की रक्षा करना है। संयुक्त राष्ट्रसंघ का इतिहास और इसकी स्थापना विश्व युद्धों और वैश्विक संघर्षों से जुड़ा हुआ है, और यह संस्था आज भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति, समाजशास्त्र और कूटनीति का केंद्र बन चुकी है।

 

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संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना का इतिहास

संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना का विचार द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के समाप्त होने के बाद किया गया। इस युद्ध ने लाखों लोगों की जान ली और लगभग पूरी दुनिया को तबाह कर दिया। इसके परिणामस्वरूप यह महसूस किया गया कि एक ऐसी संस्था की आवश्यकता है जो भविष्य में इस तरह के बड़े संघर्षों को टाल सके और विश्व में शांति, सुरक्षा और सहयोग की स्थिति बनाए रख सके।

 

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के लिए विचार विमर्श करने का मार्गदर्शन संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, सोवियत संघ, और चीन जैसे प्रमुख देशों ने किया। ये राष्ट्र युद्ध में विजयी रहे और उनके नेताओं ने एक ऐसा ढांचा तैयार किया, जो वैश्विक स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने में मददगार हो।

 

संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना की प्रक्रिया

संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना की प्रक्रिया का आरंभ 1944 में हुआ था, जब विश्व के प्रमुख देश एक सम्मेलन में एकजुट हुए थे। यह सम्मेलन "डम्बर्टन ओक्स" सम्मेलन के नाम से जाना जाता है, जो 1944 में वॉशिंगटन डी.सी. में आयोजित हुआ था। इस सम्मेलन के दौरान, संयुक्त राष्ट्र संघ के चार प्रमुख उद्देश्यों को निर्धारित किया गया:

 

  1. अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना

  2. देशों के बीच मित्रवत संबंध स्थापित करना

  3. समाज के सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना

  4. मानवाधिकारों का सम्मान करना और उनका संरक्षण करना

 

इसके बाद, 1945 में सैन फ्रांसिस्को में एक बड़ा सम्मेलन हुआ, जिसे "संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन" कहा जाता है। इस सम्मेलन में 50 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, और यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना का अंतिम कदम साबित हुआ।

 

संयुक्त राष्ट्रसंघ का संविधान और उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्रसंघ का संविधान, जिसे "संयुक्त राष्ट्र चार्टर" (UN Charter) कहा जाता है, 26 जून 1945 को सैन फ्रांसिस्को में हस्ताक्षरित किया गया और 24 अक्टूबर 1945 को यह प्रभावी हुआ। इस दिन को "संयुक्त राष्ट्र दिवस" के रूप में मनाया जाता है। इस चार्टर में संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्यों, संरचना और कार्यों का विवरण दिया गया है। इसके तहत, संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:

 

  1. अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करना।

  2. संघ के सदस्य देशों के बीच मित्रवत और सहयोगपूर्ण संबंध स्थापित करना।

  3. सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानवीय समस्याओं का समाधान खोजना।

  4. मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं का संरक्षण करना।

 

संयुक्त राष्ट्र संघ की संरचना में विभिन्न अंगों की स्थापना की गई, जैसे कि सुरक्षा परिषद (Security Council), महासभा (General Assembly), अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice), और अन्य कई एजेंसियां और कार्यक्रम, जो विशेष कार्यों को सम्पन्न करते हैं।

 

संयुक्त राष्ट्रसंघ का कार्यक्षेत्र

संयुक्त राष्ट्रसंघ का कार्यक्षेत्र बहुत व्यापक है और यह पूरी दुनिया में शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क शहर में स्थित है। इसके अलावा, इसका कार्यक्षेत्र विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और मानवीय क्षेत्रों में फैला हुआ है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के विभिन्न अंग और संगठन यह सुनिश्चित करते हैं कि उसका कार्य प्रभावी रूप से चल रहा है। इनमें प्रमुख अंग निम्नलिखित हैं:

 

  1. सुरक्षा परिषद (Security Council): यह संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक अत्यधिक शक्तिशाली अंग है, जो अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। इसके 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्थायी सदस्य (अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन) और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं।

  2. महासभा (General Assembly): यह संयुक्त राष्ट्रसंघ का प्रमुख निर्णय लेने वाला अंग है। इसमें सभी 193 सदस्य देशों के प्रतिनिधि होते हैं, जो विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं और निर्णय लेते हैं।

  3. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice): यह संयुक्त राष्ट्रसंघ का न्यायिक अंग है, जो देशों के बीच विवादों का समाधान करता है।

  4. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP): यह एक प्रमुख एजेंसी है जो वैश्विक स्तर पर विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करती है।

  5. यूनिसेफ (UNICEF): यह बच्चों और माताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कार्य करता है।

  6. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO): यह विश्वभर में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर काम करता है और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए वैश्विक प्रयास करता है।

 

संयुक्त राष्ट्रसंघ का महत्व

संयुक्त राष्ट्रसंघ का महत्व इस प्रकार है:

 

  1. वैश्विक शांति और सुरक्षा: संयुक्त राष्ट्र संघ शांति बनाए रखने, युद्धों को रोकने, और वैश्विक स्तर पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम करता है। यह संघर्षों के दौरान मध्यस्थता करता है और शांति प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।

  2. मानवाधिकारों की रक्षा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए विभिन्न कार्यक्रम और तंत्रों का संचालन करता है, जैसे कि "मानवाधिकार परिषद" (Human Rights Council) और "मानवाधिकार समिति" (Human Rights Committee)।

  3. विकास के प्रयास: संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक महत्वपूर्ण कार्य विकासशील देशों में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। इसके विभिन्न कार्यक्रम जैसे UNDP, UNESCO, और अन्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, और मानव संसाधन विकास में योगदान करते हैं।

  4. वैश्विक कूटनीति का केंद्र: संयुक्त राष्ट्रसंघ एक ऐसा मंच है, जहाँ देश वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और आपसी समझौते पर पहुंचने का प्रयास करते हैं।

  5. सामाजिक न्याय: यह संगठन दुनिया भर में असमानताओं को दूर करने, महिलाओं, बच्चों, और अन्य कमजोर वर्गों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करता है।

 

संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने चुनौतियाँ

हालाँकि संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, फिर भी इसके सामने कई चुनौतियाँ हैं:

 

  1. सुरक्षा परिषद का अधिकार: सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य देशों को विशेष अधिकार मिलते हैं, जैसे कि वीटो अधिकार, जो कभी-कभी निर्णय प्रक्रिया को रोक सकता है।

  2. संघ की प्रभावशीलता: कुछ आलोचक मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्रसंघ वैश्विक संकटों पर प्रभावी रूप से प्रतिक्रिया नहीं करता। उदाहरण के तौर पर, कुछ युद्धों और संघर्षों में इसका हस्तक्षेप न के बराबर होता है।

  3. विकसित और विकासशील देशों के बीच असमानताएँ: संयुक्त राष्ट्रसंघ में अक्सर विकसित देशों और विकासशील देशों के बीच हितों की असमानता देखी जाती है, जो कभी-कभी निर्णयों को प्रभावित करती है।

 

निष्कर्ष

संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना से यह सिद्ध हो गया कि वैश्विक स्तर पर शांति और सहयोग को बढ़ावा देना जरूरी है। इसके संस्थागत तंत्र ने विश्वभर में विभिन्न विवादों को सुलझाने, विकास को प्रोत्साहित करने और मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि इसके सामने चुनौतियाँ भी हैं, फिर भी संयुक्त राष्ट्रसंघ का अस्तित्व और कार्य अब भी विश्व शांति, सुरक्षा, और समृद्धि की दिशा में एक अहम कदम है।

 


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