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Himani Saini

| पोस्ट किया | शिक्षा


ताइवान कहां पर है इस देश के राष्ट्रपति कौन है?


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ताइवान का भौगोलिक स्थान:

ताइवान, जिसे औपचारिक रूप से ताइवान गणराज्य (Republic of China) कहा जाता है, पूर्वी एशिया में स्थित एक द्वीप राष्ट्र है। यह द्वीप मुख्य रूप से ताइवान द्वीप पर स्थित है, जो कि पूर्वी चीन सागर के दक्षिणी भाग में स्थित है। ताइवान का भौगोलिक स्थान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चीन, जापान और फिलीपींस के बीच स्थित है।

 

ताइवान को चीन के मुख्य भूभाग से 160 किलोमीटर (लगभग 100 मील) की दूरी पर स्थित है। इसके पश्चिम में चीन की मुख्य भूमि है, जबकि पूर्व में प्रशांत महासागर स्थित है। ताइवान के उत्तर में जापान और दक्षिण में फिलीपींस हैं।

 

ताइवान का आकार लगभग 36,000 वर्ग किलोमीटर है, जो कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों से थोड़ा छोटा है। ताइवान की राजधानी ताइपे (Taipei) है, जो देश के उत्तर में स्थित है। ताइवान का भूभाग पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों से मिलकर बना हुआ है, और इसकी तटीय रेखा बेहद सुंदर है, जो समृद्ध जैवविविधता और प्राकृतिक संसाधनों का घर है।

 

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ताइवान का इतिहास:

ताइवान का इतिहास बहुत ही जटिल और संघर्षपूर्ण रहा है। इस द्वीप पर पहले आकर चीनी, डच, स्पैनिश और फिर जापानी साम्राज्यों ने शासन किया था। ताइवान को 1895 में चीन से अलग कर जापान ने अपना आधिपत्य स्थापित किया। जापान के बाद 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में ताइवान को चीन को सौंप दिया गया।

 

लेकिन 1949 में, चीनी गृहयुद्ध के बाद, चीन में राष्ट्रीय जनवादी पार्टी (कुओमिनतान) और साम्यवादी पार्टी के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की विजय हुई। इसके बाद, कुओमिनतान के नेता, चांग काई-शेक, और उनकी सरकार ताइवान द्वीप पर शरण लेने के लिए पलायन कर गए। इसके बाद से, ताइवान पर कुओमिनतान का शासन स्थापित हुआ और ताइवान खुद को स्वतंत्र राष्ट्र मानने लगा।

 

ताइवान और चीन के बीच संबंध:

ताइवान के अस्तित्व को लेकर चीन और ताइवान के बीच विवाद आज भी जारी है। चीन ताइवान को अपनी सीमा का हिस्सा मानता है और इसे पुनः अपनी मुख्य भूमि में मिलाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, ताइवान अपने को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में देखता है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इसके अस्तित्व को मान्यता देने की अपील करता है। इस विवाद का एक प्रमुख कारण यह है कि चीन ने ताइवान को अपनी सरकार का हिस्सा बनाने के लिए सेना के उपयोग की धमकी दी है।

 

ताइवान का दावा है कि वह 1949 से एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में है, और यहां की सरकार लोकतांत्रिक प्रणाली पर आधारित है। हालांकि, चीन ने ताइवान के खिलाफ राजनीतिक दबाव बनाए रखा है, और ताइवान को आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र या अन्य वैश्विक संस्थाओं में शामिल नहीं होने दिया है।

 

ताइवान का राजनीतिक ढांचा:

ताइवान का राजनीतिक ढांचा लोकतांत्रिक है। यहाँ राष्ट्रपति और संसद का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है। ताइवान में राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्षों का होता है, और राष्ट्रपति पुनः चुनाव में भाग ले सकते हैं। ताइवान की संसद को "युआन" कहा जाता है, जो दो सदनों में बांटी जाती है: एक "न्यायिक युआन" और दूसरा "विधानसभा युआन"। ताइवान के राजनीतिक ढांचे में कई दलों का योगदान है, लेकिन दो प्रमुख राजनीतिक दल हैं:

 

  1. कुओमिनतान (KMT) – यह एक परंपरागत राष्ट्रवादी दल है, जो चीन के साथ संबंधों को सामान्य करने का पक्षधर है।

  2. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) – यह ताइवान की स्वतंत्रता का पक्षधर है और चीन से दूरी बनाए रखने की नीति का समर्थन करता है।

 

ताइवान के वर्तमान राष्ट्रपति:

ताइवान के वर्तमान राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन (Tsai Ing-wen) हैं, जो 20 मई 2016 से इस पद पर काबिज हैं। त्साई इंग-वेन ताइवान के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति हैं और वे डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) की सदस्य हैं।

 

त्साई इंग-वेन का जन्म 31 अगस्त 1956 को ताइवान के ताइपे शहर में हुआ था। उन्होंने ताइवान की राष्ट्रीय चिंग-हुआ विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और बाद में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कानून में उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 2000 में हुई, जब वे ताइवान की सरकार में विभिन्न उच्च पदों पर कार्यरत हुईं।

 

त्साई इंग-वेन की अध्यक्षता के दौरान, ताइवान ने चीन के साथ अपने संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की बजाय, चीन से अपनी स्वतंत्रता की दिशा में और अधिक कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने ताइवान के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत किया और ताइवान के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वृद्धि की दिशा में काम किया। उनका कार्यकाल ताइवान की आंतरिक नीति में सुधार के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा है, जिसमें उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिकी से संबंधित सुधार किए हैं। त्साई इंग-वेन का विदेश नीति में भी स्पष्ट रुख है कि वे ताइवान की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रहेंगी।

 

त्साई इंग-वेन ने चीन के साथ व्यावसायिक और राजनैतिक संबंधों में पारदर्शिता और स्थिरता बनाए रखने के लिए भी कई प्रयास किए हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में ताइवान के प्रति चीन की नीति का काफी आलोचनात्मक दृष्टिकोण रहा है। उनका कहना है कि ताइवान किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव या बल के तहत नहीं आएगा और इसने ताइवान की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को मजबूती प्रदान की है।

 

ताइवान की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति:

ताइवान का अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में बहुत ही विशेष स्थान है। चीन के दबाव के कारण अधिकांश देशों ने ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी है। हालांकि, ताइवान के पास कई देशों के साथ अनौपचारिक कूटनीतिक संबंध हैं और इसे व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अन्य क्षेत्रों में सहयोग मिलता है।

 

संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने ताइवान के साथ मजबूत व्यापारिक और सुरक्षा संबंध बनाए रखा है, हालांकि अमेरिका ने ताइवान की स्वतंत्रता को आधिकारिक रूप से नहीं मान्यता दी है। इसके अलावा, ताइवान के पास विशिष्ट रूप से चीन से जुड़े कई देशों के साथ व्यापारिक और आर्थिक संबंध हैं, जिससे ताइवान को वैश्विक मंचों पर महत्वपूर्ण प्रभाव मिला है।

 

निष्कर्ष:

ताइवान, एक छोटा सा द्वीप राष्ट्र, चीन के साथ चल रहे राजनीतिक संघर्ष के बावजूद अपने लोकतांत्रिक ढांचे और स्वतंत्रता की रक्षा कर रहा है। यह आज भी एक महत्वपूर्ण वैश्विक राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन, जो महिला राष्ट्रपति हैं, अपने प्रशासन में ताइवान की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं। ताइवान का भविष्य अभी भी अनिश्चित है, लेकिन उसकी स्वतंत्रता और विकास की दिशा में कदम बढ़ाने की प्रक्रिया जारी है।

 


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