मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाना भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है| कामयाबी क्यों ना हो क्योंकि भारत पिछले 10 साल से यह कोशिश कर रहा था कि मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया जाए| लो अब तो हो गए मसूद अजहर अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित| लेकिन आपको यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करवाने का कनेक्शन सीधा हम आम लोगों की जेब से है अब हमारी जेब भी और ज्यादा ढीली हो सकती हैं| एक तो नौकरी नहीं, ऊपर से जेब ढीली.
इस पूरे मामले में मुख्य हाथ अमेरिका का माना जा रहा है. अमेरिका ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाने में अहम भूमिका निभाई है.यह बात पूरी दुनिया जानती है कि अमेरिका कोई भी अगर काम करता है तो उसके पीछे बहुत बड़ा उसका स्वार्थ होता है| तो आइए जानते हैं वह क्या वजह थी जो उसने भारत का साथ दिया.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने भारत और चीन से कहा कि वह ईरान से तेल ना खरीदें.चीन ने अमेरिका का समर्थन नहीं किया.जबकि भारत को भली भांति इस बात का पता था कि भारत के इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है.
चुनाव के समय थे तो यह बात सभी लोग जानते है कि भारतीय जनता पार्टी अपने चुनावी फायदे के लिए किसी भी हद तक जा सकती है उसने ऐसा ही किया. बीजेपी सरकार ने अमेरिका की बात मानी और ईरान से तेल ना खरीदने का फैसला किया. भारत ने इतना बड़ा बलिदान इसी वजह से दिया था ताकि अमरीका मसूद अज़हर वाले मामले में भारत का समर्थन अवश्य करेगा.
हमारे देश के मीडिया की एक आदत बहुत बुरी है मीडिया इस बात को तो खूब अच्छी तरीके से बताती है कि मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया है इस पूरे मामले के लिए बकायदा स्टूडियो में दिहाडी (डेली पेमेंट) पर रखे हुए लोगों को बुलाकर डिबेट करवाती है लेकिन इसके पीछे की क्या वजह है क्यों आतंकवादी घोषित किया गया. इससे हमारे देश के मीडिया को कोई मतलब नहीं है.
मीडिया भले यह बताती रहे कि भारत ने अपनी सच्चाई के दम पर मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी साबित करवा दिया जबकि हक़ीक़त में कूटनीति सच्चाई से बढ़कर लेन-देन का विषय होता है| यहां हर देश को दूसरे देश से कुछ लेने के लिए कुछ देना ही पड़ता है| बात अमेरिका की हो रही हो उसने कुछ सौदा ना किया हो ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता.
कुछ जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में भारत में महंगाई,गरीबी,बेरोजगारी, भुखमरी और अधिक बढ़ने की संभावना हैं|

