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Krishna Patel

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कौन से क्रिकेटर पहले आईएएस अधिकारी थे?


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क्या आप जानते हैं कि कौन से क्रिकेटर पहले आईएएस अधिकारी थे नहीं जानते होंगे तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कौन से क्रिकेटर पहले आईएएस अधिकारी थे। दोस्तों आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि टीम इंडिया में एक ऐसा क्रिकेटर था जिसने क्रिकेट में करियर बनाने से पहले यूपीएससी का एग्जाम पास किया था जिनका नाम है अमय खुरसिया। अमय खुरसिया का जन्म 1972 मैं मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ था। यूपीएससी एग्जाम पास करने वाले अमय खुरसिया इस समय कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट में कार्यरत है। खुरासिया ने अपना अंतिम मैच श्रीलंका के खिलाफ खेला था।Letsdiskuss

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भारत के पहले IAS अधिकारी: सत्येंद्रनाथ टैगोर
सत्येंद्रनाथ टैगोर का नाम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है, क्योंकि वे भारत के पहले IAS (Indian Administrative Service) अधिकारी थे। उनके चयन ने न केवल भारतीय समाज में एक नई शुरुआत की, बल्कि ब्रिटिश शासन के दौरान एक भारतीय के प्रशासनिक सेवाओं में आने के मार्ग को भी प्रशस्त किया।

 

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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

सत्येंद्रनाथ टैगोर का जन्म 1 जून 1842 को हुआ था। वे प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई थे और एक समृद्ध और शिक्षित बंगाली परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में हुई, जिसके बाद वे इंग्लैंड गए और 1863 में भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास की। यह उस समय की बात है जब सिविल सेवा परीक्षा लंदन में आयोजित होती थी और भारतीयों के लिए इसमें उत्तीर्ण होना एक कठिन चुनौती होती थी।

करियर की शुरुआत
सत्येंद्रनाथ टैगोर 1864 में भारतीय सिविल सेवा में शामिल हुए। उनकी पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुई थी, जहाँ उन्होंने अपने कार्यों को बहुत ही निष्ठा और कुशलता से निभाया। उनके कार्यकाल की सबसे प्रमुख जिम्मेदारियों में कर वसूली और प्रशासनिक कार्य शामिल थे। 1896 में वे महाराष्ट्र के सतारा जिले के न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हुए।

साहित्यिक योगदान
सत्येंद्रनाथ टैगोर एक उत्कृष्ट प्रशासक होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध साहित्यकार भी थे। उन्होंने बांग्ला और अंग्रेजी में कई किताबें लिखीं और कई महत्वपूर्ण ग्रंथों का अनुवाद किया। उनका साहित्यिक योगदान भी उनके प्रशासनिक कार्यों की तरह ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वे बाल गंगाधर तिलक और तुकाराम जैसे क्रांतिकारियों की पुस्तकों का भी बांग्ला में अनुवाद कर चुके थे।

महिलाओं की स्वतंत्रता में योगदान
सत्येंद्रनाथ टैगोर ने न केवल प्रशासनिक क्षेत्र में बल्कि समाज सुधार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं की स्वतंत्रता के लिए काम किया और अपनी पत्नी ज्ञानदानिनी देवी को भी समाज में एक नई पहचान दिलाई। वे अपनी पत्नी को सार्वजनिक आयोजनों में ले जाते थे, जिससे महिलाओं के पर्दा प्रथा के खिलाफ एक मजबूत संदेश गया।

 

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उनकी विरासत
सत्येंद्रनाथ टैगोर की विरासत आज भी भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में याद की जाती है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जिस निष्ठा और समर्पण के साथ काम किया, वह आज भी आने वाले IAS अधिकारियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उनके जीवन और कार्यों से यह स्पष्ट होता है कि सच्ची लगन और मेहनत से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।

सत्येंद्रनाथ टैगोर का जीवन भारतीय प्रशासनिक सेवा के इतिहास में एक मील का पत्थर है। उनकी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए और अपने कार्यों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करना चाहिए।

उनके जीवन और कार्यों पर गहराई से नज़र डालने से हमें यह समझ में आता है कि उन्होंने न केवल प्रशासनिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक सुधारों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जीवन और उनकी उपलब्धियाँ भारतीय इतिहास में एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में हमेशा जीवित रहेंगी।

इस प्रकार, सत्येंद्रनाथ टैगोर का जीवन और करियर हमें यह सिखाता है कि सच्ची निष्ठा और समर्पण से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। उनका योगदान और विरासत आने वाले समय में भी लोगों को प्रेरित करता रहेगा।

 


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