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श्री एम. विश्वेश्वराया का जन्म 15 सितंबर 1861 के दिन मैसूर राज्य के मुद्दनहल्ली नामक गांव में हुआ। इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री एवं माता वेंकटम्मा थे। उनके पिता वैद्य थे।
भद्रावती का लोहे का कारखाना का निर्माण श्री विश्वेश्वरया के प्रयत्न और अथक परिश्रम से हुआ। मैसूर में कावेरी नदी पर सबसे प्रथम बांध कृष्णराजसागर नामक स्थान में बना इसके निर्माता श्री विश्वेश्वरया ही थे।
भारत में इतना बड़ा बाँध पहले नहीं बना था। एम. विश्वेश्वरया पढ़ने लिखने में बड़े तेज थे। वे अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पुणे में पूरी करने के पश्चात मुंबई सरकार ने उन्हें सहायक इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया उसके बाद उन्होंने कई राज्यों में सेवा की।
पूरे भारत में वह जहां-जहां गए वहां-वहां उन्होंने अपने ज्ञान और अनुभव से लाभ पहुंचाया। इस तरह से वे एक राज्य के नहीं, सारे भारत के हो गए। श्री विश्वेश्वरया ने सिंघ प्रांत में सक्कर शहर के निवासियों को नल द्वारा पानी पहुंचाने का प्रबंध किया। बड़े से बड़े इंजीनियर इस प्रयत्न हार चुके थे।
श्री विश्वेश्वरया ने बहुत कम खर्चे में इसे पूरा किया। वे विदेशों का भ्रमण करके कई नई चीजें सीखे और हमारे देश को लाभ पहुंचाएं है। उन्होंने भारत के सलाहकार के रूप में देश के विकास- कार्यों को सफल बनाया भारत सरकार ने आप को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया श्री विश्वेश्वरया जी 101 साल तक जीवित रहे 14 अप्रैल 1962 को श्री विश्वेशरैया जी का देहांत हुआ।
(Source:- Google)
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