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भारत का सबसे गहरा स्थल कौन सा है?

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| Updated on February 1, 2024 | others

भारत का सबसे गहरा स्थल कौन सा है?

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@abhishekgaur6728 | Posted on February 1, 2024

महासागरीय गर्त बेसिन के सबसे नीचे वाले भाग को कहा जाता है जिनकी उत्पत्ति का कारण विवर्तनिक क्रियाओ है जिसमें दो प्लेटे एक दूसरे की ओर बढ़ती है तथा टकराकर एक प्लेट दूसरी प्लेट की नीचे आ जाती है जिसको अभिसरण कहा जाता है। जब प्लेटे नीचे की ओर खिसक जाती है तो वे महासागरीय नितल को भी नीचें खीच देती है जिससे महासागरीय गर्त बन जाते है। महासागरीय गर्त तेज ढाल वाले लम्बे , पतले और गहरे क्षेत्र होते है।

पृथ्वी के लिए महासागरीय गर्त बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योकि ये धाराओ को नियंत्रित करने में मदद करते है और ये समुद्र की जैव विविधता के लिए भी आवश्यक है।

सुंदा गर्त को भारत के सबसे गहरे स्थल के रूप में जाना जाता है जो भारतीय तट से लगभग 320 किमी की दूरी पर हिंद महासागर में स्थित है। सुंदा गर्त की अनुमानित गहराई 7725 मीटर की मानी गयी है। इसका विस्तार जावा से आगे सुन्दा द्वीपसमूह से होकर सुमात्रा द्वीप के दक्षिणी तट तक है। यह गर्त हिन्द-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट और यूरेशियाई प्लेट के बीच में है। इसकी पहचान पृथ्वी की सबसे गहरी खाइयों में एक मानी जाती है। इस गर्त की गहराई इतनी है कि सूर्य की किरणें भी इसकी सतह तक नही पहुंच पाती है।

अगर पृथ्वी के सबसे गहरे स्थान की बात की जाए तो पृथ्वी का सबसे गहरा स्थान मरियाना गर्त है जो पश्चिमी प्रशांत महासागर में है। मेरियाना गर्त की गहराई लगभग 11,022 मीटर है।

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