स्वदेशी आंदोलन, आधिकारिक तौर पर 7 अगस्त, 1905 को कलकत्ता टाउन हॉल, बंगाल में घोषित किया गया था। स्वदेशी आंदोलन के साथ-साथ बहिष्कार आंदोलन भी चलाया गया। आंदोलनों में भारत में उत्पादित की हुई वस्तुओं का उपयोग करना और ब्रिटिश के द्वारा निर्मित वस्तुओं का त्याग या जलाना शामिल था। बाल गंगाधर तिलक ने ब्रिटिश सरकार द्वारा बंगाल के विभाजन के निर्णय के बाद स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को बढ़ावा दिया ।
स्वदेशी आंदोलन की तय समयरेखा:
- 19 वी सदी में , ब्रिटिश भारत में बंगाल प्रमुख प्रांत था। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन बंगाल में शुरू हुआ और
- उस समय के भारत के वायसराय लॉर्ड कर्जन ने जुलाई 1905 में बंगाल के विभाजन की घोषणा की, तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बंगाल में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की। स्वदेशी आंदोलन को करने का मतलब था की हम सरकार का विरोध कर रहे है की बंगाल का विभाजन न हो पाए
- 1909 में, आंदोलन पुरे देश भर में फैल गया था और लोगों ने विभाजन और उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों की शुरुआत की थी। आंध्र प्रदेश में, स्वदेशी आंदोलन को वन्देमातरम आंदोलन के रूप में भी जाना जाता था
- 1910 में, कई गुप्त संगठन स्थापित किए गए थे और कई क्रांतिकारी आंदोलन थे, जो स्वदेशी आंदोलन का पर्याय थे
- महात्मा गांधी द्वारा 1915 के बाद के आंदोलन, जैसे सत्याग्रह आंदोलन, असहयोग आंदोलन आदि स्वदेशी आंदोलन पर आधारित थे।
स्वदेशी आंदोलन में प्रमुख लोग:
- बाल गंगाधर तिलक
- बिपिन चंद्र पाल
- लाला लाजपत राय
- अरबिंदो घोष
- वीओ चिदंबरम पिल्लई
- बाबू गेनू