भारत के किस क्षेत्र को चिकन नेक के नाम से जाना जाता है? - letsdiskuss
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Himani Saini

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भारत के किस क्षेत्र को चिकन नेक के नाम से जाना जाता है?


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amankumarlot@gmail.com | पोस्ट किया


चिकन नेक का भौगोलिक परिचय:

चिकन नेक, जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नाम से भी जाना जाता है, पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित एक संकीर्ण भूमि पट्टी है। यह क्षेत्र लगभग 22 किलोमीटर चौड़ा है और भारत के मुख्य भूभाग को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ता है। इसकी भौगोलिक स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों - असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा - को देश के शेष हिस्से से जोड़ने वाला एकमात्र स्थलीय मार्ग है।

 

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ऐतिहासिक महत्व:

चिकन नेक की उत्पत्ति का इतिहास भारत के विभाजन से जुड़ा हुआ है। 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तब पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) का निर्माण हुआ। इस विभाजन के परिणामस्वरूप, पूर्वोत्तर भारत का एक बड़ा हिस्सा मुख्य भूमि से अलग हो गया और केवल यह संकीर्ण भूमि पट्टी ही जुड़ाव का माध्यम बन कर रह गई।

रणनीतिक महत्व:

चिकन नेक का रणनीतिक महत्व अत्यधिक है। यह न केवल पूर्वोत्तर राज्यों को देश के शेष हिस्से से जोड़ता है, बल्कि भारत की सीमा सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए, भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों की मजबूत उपस्थिति यहाँ देखी जा सकती है।

आर्थिक महत्व:

चिकन नेक पूर्वोत्तर भारत की आर्थिक जीवन रेखा है। यह क्षेत्र व्यापार, परिवहन और संचार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सड़क और रेल मार्गों के माध्यम से यहाँ से होकर बड़ी मात्रा में माल और यात्रियों का आवागमन होता है। सिलीगुड़ी शहर, जो इस कॉरिडोर का एक प्रमुख हिस्सा है, एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है।

परिवहन नेटवर्क:

चिकन नेक में कई महत्वपूर्ण परिवहन मार्ग हैं:

1. राष्ट्रीय राजमार्ग 31 और 31C: ये सड़कें पूर्वोत्तर राज्यों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ती हैं।

2. न्यू जलपाईगुड़ी-सिलीगुड़ी-न्यू बोंगाईगाँव रेल लाइन: यह रेल मार्ग पूर्वोत्तर को मुख्य भूमि से जोड़ता है।
3. बागडोगरा हवाई अड्डा: यह क्षेत्र का प्रमुख हवाई अड्डा है जो पूर्वोत्तर को हवाई मार्ग से जोड़ता है।

चुनौतियाँ और समाधान:

चिकन नेक की भौगोलिक स्थिति कई चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है:

1. प्राकृतिक आपदाएँ: यह क्षेत्र बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील है। इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं, जैसे बेहतर जल निकासी प्रणाली और भूस्खलन रोकथाम तकनीकों का उपयोग।

2. यातायात जाम: बढ़ती आबादी और व्यापार के कारण यातायात की समस्या गंभीर हो गई है। इसे हल करने के लिए सड़कों का विस्तार और नए बायपास का निर्माण किया जा रहा है।

3. सुरक्षा चिंताएँ: इस क्षेत्र की संवेदनशील स्थिति के कारण सुरक्षा एक बड़ी चिंता है। इसके लिए सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई है और निगरानी प्रणाली को मजबूत किया गया है।

 

भारत के किस भाग को चिकन नेक के नाम से जाना जाता है ?

 

विकास पहल:

चिकन नेक के महत्व को देखते हुए, सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए कई पहल की हैं:

1. सिलीगुड़ी कॉरिडोर विकास प्राधिकरण: यह संस्था क्षेत्र के समग्र विकास के लिए काम कर रही है।

2. बुनियादी ढांचे का विकास: सड़कों का विस्तार, नए पुलों का निर्माण और रेल नेटवर्क का आधुनिकीकरण किया जा रहा है।

3. आर्थिक क्षेत्र: विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) की स्थापना से रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं।

4. पर्यटन विकास: इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का लाभ उठाते हुए पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

निष्कर्ष:

चिकन नेक भारत के भूगोल में एक अनूठा और महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह न केवल एक भौगोलिक विशेषता है, बल्कि देश की एकता और अखंडता का प्रतीक भी है। इसकी रणनीतिक, आर्थिक और सामाजिक महत्ता को देखते हुए, इस क्षेत्र के विकास और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। चिकन नेक की चुनौतियों के बावजूद, यह क्षेत्र भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के विकास और समृद्धि का द्वार बना हुआ है।

इस प्रकार, चिकन नेक न केवल एक भौगोलिक आश्चर्य है, बल्कि यह भारत की विविधता में एकता का एक जीवंत उदाहरण भी है। यह क्षेत्र हमें याद दिलाता है कि कैसे एक छोटा सा भूभाग भी एक विशाल देश के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। भविष्य में, चिकन नेक के और अधिक विकास और सुदृढ़ीकरण से न केवल पूर्वोत्तर भारत, बल्कि पूरे देश को लाभ होगा।

 


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भारत के किस भाग को चिकन नेक के नाम से जाना जाता है ?

दोस्तों बंगाल विभाजन के समय के बाद 1947 में सिलीगुड़ी कॉरिडोर को बनाया गया था इसी सिलीगुड़ी कॉरिडोर को अब चिकन नेक के नाम से जाना जाता है। यह पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है एवं सिलिगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से ही भारत के पूर्वोत्तर राज्य भारत से जुड़ पाते हैं। भारत के आठ पूर्वोत्तर राज्य यानी की अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा, सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से ही भारत से जुड़ पाते हैं।

जिसके कारण इस इलाके की भू राजनीतिक महत्वता बढ़ जाती है। इसके आसपास नेपाल और बांग्लादेश है। भूटान भी इस सिलीगुड़ी कॉरिडोर के उतरी किनारे पर स्थित है। अगर सिलीगुड़ी शहर की बात करें तो यह मुख्य तौर से पश्चिम बंगाल राज्य में ही आता है एवं इसी सिलीगुड़ी शहर के माध्यम से भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, दार्जिलिंग की पहाड़ियां, सिक्किम और पूर्वोत्तर भारत शेष भारत से जुड़े हुए हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत का विभाजन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच पनपी दुश्मनी का परिणाम था और इसी विभाजन के बाद यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक के नाम से भी जाना जाता है वह विशेष रूप से काफी संवेदनशील क्षेत्र बन चुका है।

 

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विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल जिसे हम बांग्लादेश के नाम से भी जानते हैं इसका गठन हुआ और बांग्लादेश के गठन के बाद ही भारत के सभी पूर्वोत्तर भागों में एक भौगोलिक अवरोध बन गया। अब केवल मात्र यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर ही है जो पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ने में मदद करता है क्योंकि यह एक बिंदु पर लगभग 89 हजार फिट संकीर्ण है जिसके मदद से पूर्वोत्तर भारत शेष भारत से जुड़ पता है। इसके अलावा चिकन नेक के दक्षिण पश्चिम भाग में बांग्लादेश स्थित है एवं उत्तर की तरफ यह चीन के बीच में स्थित है।

जिसके करण सिलीगुड़ी कॉरिडोर के दूसरी तरफ के समुद्र तक जाने के लिए कोलकाता से होकर गुजरना पड़ता है। सिलिगुड़ी कॉरिडोर में एक चुंबी घाटी भी स्थित है जो की एक खंजर जैसा हिस्सा है एवं यह सिक्किम और भूटान के बीच स्थित है। उत्तर में चीन के बीच स्थित होने के कारण चिकन नेक के इस हिस्से में यदि चीन की सेना चाहे तो कुच करके पश्चिम बंगाल, भूटान समेत सभी पूर्वोत्तर भारत के हिस्से काट सकता है। जिसके कारण देश के लगभग 5 करोड लोगों पर प्रभाव पड़ेगा।

 

सिलीगुड़ी कॉरिडोर कुल 3 देश बांग्लादेश, भूटान एवं नेपाल के बीच में आता है। जिसके कारण ही यह एक काफी संवेदनशील क्षेत्र है एवं यहां पर सीमा सुरक्षा बल तथा मुख्य तौर पर पश्चिम बंगाल के पुलिस द्वारा देखरेख की जाती है एवं देखरेख में भारतीय सेना भी शामिल होती है।

किंतु चिकन नेक का भूभाग शंकर होने के कारण यह सुरक्षा की दृष्टिकोण से एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बन जाता है। इसके अलावा इस क्षेत्र में भारी वर्षा बाढ़ और भूस्खलन जैसी कई प्राकृतिक आपदाओं की संभावना भी रहती है जो यातायात और संचार को बाधित करती है।

 

खबरों के मुताबिक हाल ही में बांग्लादेशी एवं नेपाली विद्रोहियों ने अवैध तरीके से क्रॉसिंग करने के लिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर को अपना केंद्र बनाया था। सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि केवल यही एक मार्ग है जिसके जरिए भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों से संपर्क कर सकता है।

 

भारत के किस भाग को चिकन नेक के नाम से जाना जाता है ?


बांग्लादेश और भारत के बीच अब तक कोई व्यापारिक समझौता नहीं है इसलिए भारत व्यापार के लिए बांग्लादेश की जमीन की मदद नहीं ले सकता इसके अलावा सिलिगुड़ी कॉरिडोर क्षेत्र में नशीले पदार्थ और अवैध हथियारों का व्यापार काफी तेजी से हो रहा है। बांग्लादेश एवं नेपाल के आतंकवादी भाग कर यहीं आकर शरण लेते हैं। जिसके कारण यह इलाका दिन प्रतिदिन खतरे से भरता जा रहा है।

 

सरल शब्दों में कहे तो नेपाल, भूटान चीन और बांग्लादेश से घिरा एक शंकर भूभाग जो भारत के आठ पूर्वोत्तर क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ने में मदद करता है उसे ही चिकन नेक के नाम से जाना जाता है एवं यह भूभाग कुल 22 किलोमीटर चौड़ाई लिए हुए हैं

जिसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर भी कहते हैं तथा यह सिलिगुड़ी कॉरिडोर भारत के लिए भू राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण है। इसकी संकरी चौड़ाई ही इसे सुरक्षा की दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील बनाती है एवं भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ भारत को जोड़ने के लिए सिलीगुड़ी कॉरिडोर ही एकमात्र मार्ग है।

जिसकी देखरेख करना हमारे देश की जिम्मेदारी है वरना हमारे देश के साथ पूर्वोत्तर राज्यों का संपर्क एवं व्यापार टूट जाएगा।


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