दोस्तों हिंदू धर्मग्रंथ के अनुसार भगवान विष्णु धर्म के प्रतीक है तथा पृथ्वी पर धर्म को जब-जब आहत पहुंचाने की कोशिश की गई है तब तब भगवान विष्णु ने अलग-अलग रूपों में अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की रक्षा की है। मान्यताओं अगर माने तो भगवान विष्णु इस पृथ्वी पर धर्म की रक्षा के लिए कुल 10 अवतार लेंगे जिनमें से 9 अवतार भगवान विष्णु ने ले लिया है लेकिन दसवां अवतार जिसे कल्कि अवतार के नाम से भी जाना जाता है वह अवतार कलयुग के अंत में भगवान विष्णु लेंगे एवं धरती पर बढ़े सभी अधर्मियों का नाश करके धर्म की रक्षा करेंगें। भगवान विष्णु के दशावतार में से पहला अवतार मत्स्य अवतार है। मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का पहला अवतार होने के कारण बहुत खास है इसलिए आज हम इस आर्टिकल में मत्स्य अवतार के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे। पूरी जानकारी के लिए आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
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भगवान विष्णु के 10 अवतारों के नामः-
भगवान विष्णु ने कल अब तक कुल नौ अवतार लिए हैं और दसवां अवतार कलयुग के अंत होने पर लेंगे। भगवान विष्णु द्वारा लिए गए मत्स्य अवतार के बारे में विस्तारपूर्वक जानने से पहले आपका भगवान विष्णु के दशावतारों के बारे में जानना बेहद आवश्यक है। इन 10 अवतारों के नाम कुछ इस प्रकार हैं:-
1) मत्स्य अवतार
2) वराह अवतार
3) कच्छप अवतार
4) नरसिंह अवतार
5) वामन अवतार
6) परशुराम अवतार
7) राम अवतार
8) कृष्ण अवतार
9) बुद्ध अवतार
10) कल्कि अवतार
भगवान विष्णु के दशावतारों में पहला अवतार:-
हिंदू धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान विष्णु के दशावतारों में से पहले अवतार मत्स्य अवतार था। जानकारी के लिए बता दे की मत्स्य एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है मछली। मत्स्य अवतार में भगवान विष्णु ने पृथ्वी को प्रलय से बचने के लिए मछली के रूप में अवतार लिया था। जिसे मत्स्यावतार भी कहते हैं।
भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कहानी कुछ इस प्रकार है:-
भगवान विष्णु ने सतयुग में मत्स्य अवतार लिया था। पुराणों के अनुसार एक बार जब राजा मनु नदी में स्नान कर रहे थे तब उन्हें एक छोटी सी मछली दिखाई दी और मछली ने राजा से विनती की कि उसे इस नदी से निकाल दिया जाए क्योंकि यहां उसे बड़ी मछलियां खा जाएंगी। अतः राजा मनु ने उस मछली को अपने कमंडल में रख लिया। जब मछली बड़ी होने लगी तो राजा मनु ने उसे एक सरोवर में रखा परंतु वह मछली बहुत तेजी से बड़ी होने लगी और सरोवर उसके लिए छोटा पड़ गया तो राजा को समझ आ गया कि यह कोई साधारण मछली नहीं है। अतः राजा मनु ने मछली से हाथ जोड़कर विनती की और उसे उसके वास्तविक रूप में आने की प्रार्थना
की तब भगवान विष्णु अपने असली रूप में प्रकट हुए और बोले कि यह मेरा मत्स्य अवतार है और राजा मनु से बोले की आज से ठीक 7 दिन बाद प्रलय होगी और तब तुम्हारे पास एक विशाल नाव आएगी। तुम सप्तर्षियों, औषधीय, बीजों एवं सभी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर को लेकर उसे नाव में बैठ जाना। जब वजन के कारण तुम्हारी नाव हिलने लगेगी तब मैं मत्स्य के रूप में ही तुम्हारी मदद के लिए आऊंगा। उस समय तुम वासुकी नाग द्वारा उसे नाव को मेरे सिंघ में बांध देना। मैं प्रलय से तुम सब की रक्षा करूंगा। तब समय आने पर राजा मनु ने भगवान विष्णु द्वारा दिए गए निर्देश का पालन किया और राजा मनु को भगवान विष्णु द्वारा तत्वज्ञान का उपदेश दिया गया जो अभी मत्स्य पुराण के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस प्रकार भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर प्रलय से राजा मनु समेत सभी सप्तर्षियों और जीवो की रक्षा की तथा प्रलय के पश्चात नए सिरे से संसार का निर्माण किया।
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मत्स्य अवतार का महत्व क्या है?
भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कथा यह बताती है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों के लिए किसी भी अवतार में इस पृथ्वी पर अवतरित हो सकते हैं एवं धर्म की सुरक्षा और धर्म की स्थापना के लिए अगर संसार का प्रलय होता है तो भगवान विष्णु पुनः संसार सृजन करने के लिए सदैव पृथ्वी पर अवतरित होंगे। भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कथा केवल हिंदुओं के लिए ही नहीं बल्कि भारतीय समाज के हर नागरिक के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है तथा मत्स्य पुराण पढ़कर ही लोग न्याय की शिक्षा प्राप्त करते हैं।