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वाच्य किसे कहते हैं? दोस्तों हिंदी में वाच्य का मतलब होता है कोई वाक्य किस तरह से कहा जाता है उसे वाक्य कहते है।
इसी के आधार पर वाक्य के क्रिया, वचन, लिंग बदल जाते हैं।
हम कोई भी वाक्य को हिंदी में 3 तरीके से कहते हैं।
जहां करता प्रधान हो वहां कर्तृवाच्य होता है। इसी करता के अनुसार क्रिया का लिंग वचन का निर्धारण होता है।
अभिनव स्कूल जाता है।
यकृत वाच इसलिए है क्योंकि यहां कर्ता अभिनव प्रधान है। उसी के अनुसार क्रिया जाता पुँल्लिंग, एकवचन में प्रयोग हुआ है।
अगर इस वाक्य में कर्ता प्रधान स्त्रीलिंग को कर दिया जाए तो क्रिया स्त्रीलिंग में
बदल जाएगी।
नीता स्कूल जाती है।
कर्मवाच्य
जहां कर्ता प्रधान न होकर कर्म प्रधान होता है वह कर्मवाच्य कहलाता क्योंकि उसी के अनुसार क्रिया का लिंग और वचन निर्धारित होता है।
जैसे
अभिनव के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
दोस्तों यहां पर अभिनव पुल्लिंग है करता है लेकिन यह प्रधान नहीं है बल्कि कर्म पुस्तक प्रधान है और यह स्त्रीलिंग है इसलिए क्रिया जाती एकवचन में प्रयोग हुई है।
गीता के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
यह भी कर्म वाच्य और पुस्तक के अनुसार जाती क्रिया और वचन का प्रयोग हुआ है।
भाव वाच्य
जिस वाक्य में भाव की प्रधानता होती है इस वाक्य को भाव आज कहते हैं और इसके अनुसार क्रिया का लिंग वचन सदैव पुँल्लिंग एकवचन और अन्य पुरुष में प्रयोग होता है।
नीता से गाया नहीं जाता है।
दोस्तों यहां भाव की प्रधानता है और यहां क्रिया पुँल्लिंग होता है।
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