यमराज कौन है, ये सभी जानते हैं। इंसान के मरने के बाद यमराज के दूत उन्हें यमलोक ले जाते हैं, जहाँ पर मरने वाले का सारा लेखा जोखा होता है। मानव जीवन की ज़िंदगी का आखरी पड़ाव यमलोक होता है। गरुड़ पुराड़ में इंसान के मरने के बाद उसकी सभी यात्राओं का विवरण होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार यमराज के महल को कालित्री महल कहा जाता है, जहाँ सिर्फ अँधेरा होता है।
आइये जानते हैं यमराज का साम्राज्य कैसा है -
- पुराणों के अनुसार यमलोक पृथ्वी से लगभग 12 लाख किलोमीटर दूर है।
- यमलोक में बहुत अधिक यातनाएं दी जाती है और यह बहुत ही डरावना होता है।
- गरुड़ पुराण के आधार पर यमलोक के 4 दरवाजे हैं -
पहला दरवाजा पूर्वी तरफ होता है जो सर्फ अच्छी आत्मा और धर्मात्मा के लिए खुलता है।
पश्चिम तरफ का दरवाजा दान पुण्य करने वाले लोगों के लिए खुलता है।
साधु संत के लिए उत्तरा की तरफ का दरवाजा खुलता है।
दक्षिण तरफ खुलने वाला दरवाजा पापियों और बुरे लोगों के लिए खुलता है।
- यमराज की सेवा करने वाले उनके यमदूत कहलाते हैं, जो कि मर्त इंसान की आत्मा को यमराज तक लेकर आते हैं। ऋग्वेद के अनुसार यमराज के दूत कबूतर और उल्लू बताएं गये हैं। वहीं गरुण पुराण में
कौआ को यमदूत बताया गया।
- यमलोक के द्वारपाल को धर्मध्वज कहा जाता है। यमराज के लोक में उनके द्वार पर दो विशाल कुत्ते पहरा देते हैं।
- लोगों के जीवन का लेखा-जोखा चित्र गुप्त रखते हैं, जिसके आधार पर यमराज मृत्यु के बाद लोगों की सज़ा को निर्धारित करते हैं।