मंगल पांडे का नाम सुनते ही सभी के चेहरे में एक जोश और क्रांति की भावना जागृति हो जाती है | मंगल पांडे भारत के सबसे पहले स्वतंत्रता संग्रामी माने जाते हैं | वह बेशक ईस्ट इंडिया कंपनी के एक फौजी थे परन्तु क्रांति की ज्वाला अंग्रेजी शाशन में सबसे पहले इन्होंने ही शुरू की और इतना ही नहीं मंगल पांडे के इस विद्रोह से पूरा अंग्रेजी शाशन हिल गया |
मंगल पांडे का जन्म 30 जनवरी 1831 बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ | वह ईस्ट इंडिया कंपनी के फौजी थे | भारत की गुलामी ने पहले ही सभी क्रांतिकारियों के मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत पैदा कर दी थी, जिसके लिए स्वतंत्रता संग्रामियों ने काफी तकलीफें भी उठाई | "एनफील्ड पी.53 " राइफल में जब नई कारतूसों का प्रयोग होने लगा तो और ज्यादा परेशानी हुई | इस कारतूसों को बन्दुक में डालने से पहले मुँह से खोलना पड़ता था और सैनिकों के बीच यह खबर फ़ैल गई कि इस कारतूस को बनाने में गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है |
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इस बात से हिन्दू और मुस्लिम दोनों सैनिकों के बीच अफरा टाफी मच गई | 9 फरवरी 1857 को जब यह नया कारतूस आया तो सभी सैनिकों में से सिर्फ मंगल पांडे में यह कारतूस लेने से मना कर दिया | इसके परिणाम स्वरूप उनसे उनके हथियार छीन लिए जाने का आदेश किया | जिसको मानने से मंगल पांडे ने मना कर दिया | हुकुम को न मानने के लिए जब उनसे 29 मार्च सन् 1857 को उनकी राइफल छीनने के लिये एक अंग्रेज़ अफसर आगे बढ़ा तो मंगल पांडे ने उन पर आक्रमण कर दिया और खुद को घायल कर लिया और उसके बाद मंगल पांडेय को बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों का विद्रोही घोषित कर दिया | जिसके लिए उन्हें 8 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुनाई गई |
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