कुतुबुद्दीन ऐबक कौन था? - LetsDiskuss
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| Posted on July 17, 2019 | others

कुतुबुद्दीन ऐबक कौन था?

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@poojamishra3572 | Posted on July 21, 2019

कुतुबुद्दीन ऐबक का जन्म तुर्किस्तान में हुआ था लेकिन वह बचपन में ही अपने परिवार से बिछड़ गया था उसे एक व्यापारी निशापुर के बाजार में लाया। जहाँ काजी फखदुद्दीन अब्दुल अजीज कुकी ने उसे खरीद लिया।


courtesy -Sahapedia
मध्यकालीन भारत के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक, दिल्ली सल्तनत के पहले शासक और गुलाम वंश के संस्थापक भी रह चुके थे। वह ऐबक जनजाति के तुर्की थे और केवल 1206-1210 के बीच चार साल, तक ही सुल्तान रहे थे। ऐबक को बचपन में पकड़कर पूर्वोत्तर ईरान में स्थित एक शहर निशापुर के मुख्य काजी के हाथ एक दास के रूप में बेच दिया गया था।
इतना ही नहीं बल्कि अंत में ऐबक को मध्य अफगानिस्तान के गौर शासक, सुल्तान मुहम्मद गौरी ने खरीद लिया था। कुतुबुद्दीन ऐबक धीरे-धीरे सेनापति के पद पर आसीन हो गये और सुल्तान गौरी के सबसे विश्वासपात्र रईसों में से एक बन गए। उत्तरी भारत की विजय मुख्य रूप से कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा हासिल हुई थी, जिससे गौरी को अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद मिली। धीरे-धीरे, सुल्तान गौरी ने 1192 के बाद मध्य एशिया पर ध्यान केंद्रित किया, ऐबक को भारतीय विजय का प्रभार दे दिया था।
मुहम्मद गौरी ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तरी भारत में अपने साम्राज्य के विस्तार के साथ खुद को मजबूत शासक के रूप में साबित किया। जब मोहम्मद गौरी युद्ध के मैदान में मारे गये, तो कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 में स्वयं दिल्ली के सुल्तान का ताज पहन लिया। उनकी मृत्यु के बाद जब ऐबक सिंहासन पर बैठे तो उन्होंने उन स्थानों पर ही शासन किया जहां पर उन्हें सुल्तान गौरी के स्थानीय प्रभारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया था। ताज-उद-दीन अलीमर्दान और नासीर-उद-दीन कुबाचा जैसे व्यक्तियों के विद्रोह के बावजूद, उन्होंने गौरी द्वारा स्थापित की गई प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत बनाया।


हालांकि कुतुब-उद-दीन ऐबक ने कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था, जो दिल्ली के सबसे शुरुआती मुस्लिम स्मारकों में से एक थी लेकिन वह इन्हें पूरा नहीं करवा सके। यह मस्जिद एक हिंदू मंदिर को नष्ट करके बनवाई गयी थी, जिसे पृथ्वीराज द्वारा निर्मित करवाया गया था और मंदिर के कुछ हिस्सों को मस्जिद के बाहर बरकरार रखा गया था। बाद में इन वास्तुकलाओं को उनके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा करवाया था।


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