सुवर्णमत्स्य रावण की बेटी थी, जिसे रामायण के थाई और कंबोडियाई संस्करणों में उल्लेखित किया गया है। रावण की तीन पत्नियां और सात बेटे थे, लेकिन सुवर्णमत्स्य उसकी इकलौती बेटी थी।सुवर्णमत्स्य अत्यंत सुंदर थी और उसे "स्वर्ण जलपरी" भी कहा जाता था। उसका शरीर सोने की तरह चमकता था और उसकी आँखों में मोतियों की चमक थी।
सुवर्णमत्स्य और हनुमान:
रामायण के कुछ संस्करणों में, सुवर्णमत्स्य को हनुमान से प्रेम हो जाता है। जब हनुमान लंका में सीता की खोज कर रहे थे, तो सुवर्णमत्स्य उनसे मिलती है और उनके प्रेम में पड़ जाती है।हनुमान सुवर्णमत्स्य के प्रेम को स्वीकार नहीं करते, क्योंकि वे ब्रह्मचारी थे। वे उसे समझाते हैं कि उनका उद्देश्य सीता की खोज करना है और वे किसी सांसारिक प्रेम में नहीं पड़ सकते।
सुवर्णमत्स्य और रामसेतु:
सुवर्णमत्स्य का रामसेतु के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान था। जब राम वानर सेना के साथ समुद्र पार कर रहे थे, तो रावण ने अपनी बेटी को सेतु निर्माण को बाधित करने के लिए भेजा।सुवर्णमत्स्य अपनी शक्तियों का उपयोग करके वानरों द्वारा फेंके गए पत्थरों को गायब कर देती थी। हनुमान ने उसकी चाल को समझा और उसे पकड़ लिया।हनुमान ने सुवर्णमत्स्य को समझाया कि राम का उद्देश्य रावण से सीता को मुक्त कराना है और यदि वह सेतु निर्माण में बाधा डालेगी तो उसे हनुमान से युद्ध करना होगा।सुवर्णमत्स्य हनुमान की बातों से प्रभावित हुई और उसने सेतु निर्माण में बाधा डालना बंद कर दिया।
सुवर्णमत्स्य का महत्व:
सुवर्णमत्स्य रामायण का एक महत्वपूर्ण पात्र है। वह एक सुंदर, शक्तिशाली और बुद्धिमान स्त्री थी। सुवर्णमत्स्य की कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम में त्याग भी महत्वपूर्ण होता है। सुवर्णमत्स्य का चरित्र स्त्री शक्ति का प्रतीक भी है।
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