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सुवर्णमत्स्य कौन थी?

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| Updated on February 13, 2024 | entertainment

सुवर्णमत्स्य कौन थी?

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@abhishekgaur6728 | Posted on February 12, 2024

सुवर्णमत्स्य रावण की बेटी थी, जिसे रामायण के थाई और कंबोडियाई संस्करणों में उल्लेखित किया गया है। रावण की तीन पत्नियां और सात बेटे थे, लेकिन सुवर्णमत्स्य उसकी इकलौती बेटी थी।सुवर्णमत्स्य अत्यंत सुंदर थी और उसे "स्वर्ण जलपरी" भी कहा जाता था। उसका शरीर सोने की तरह चमकता था और उसकी आँखों में मोतियों की चमक थी।

 

सुवर्णमत्स्य और हनुमान:

रामायण के कुछ संस्करणों में, सुवर्णमत्स्य को हनुमान से प्रेम हो जाता है। जब हनुमान लंका में सीता की खोज कर रहे थे, तो सुवर्णमत्स्य उनसे मिलती है और उनके प्रेम में पड़ जाती है।हनुमान सुवर्णमत्स्य के प्रेम को स्वीकार नहीं करते, क्योंकि वे ब्रह्मचारी थे। वे उसे समझाते हैं कि उनका उद्देश्य सीता की खोज करना है और वे किसी सांसारिक प्रेम में नहीं पड़ सकते।

 

सुवर्णमत्स्य और रामसेतु:

सुवर्णमत्स्य का रामसेतु के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान था। जब राम वानर सेना के साथ समुद्र पार कर रहे थे, तो रावण ने अपनी बेटी को सेतु निर्माण को बाधित करने के लिए भेजा।सुवर्णमत्स्य अपनी शक्तियों का उपयोग करके वानरों द्वारा फेंके गए पत्थरों को गायब कर देती थी। हनुमान ने उसकी चाल को समझा और उसे पकड़ लिया।हनुमान ने सुवर्णमत्स्य को समझाया कि राम का उद्देश्य रावण से सीता को मुक्त कराना है और यदि वह सेतु निर्माण में बाधा डालेगी तो उसे हनुमान से युद्ध करना होगा।सुवर्णमत्स्य हनुमान की बातों से प्रभावित हुई और उसने सेतु निर्माण में बाधा डालना बंद कर दिया।

 

सुवर्णमत्स्य का महत्व:

सुवर्णमत्स्य रामायण का एक महत्वपूर्ण पात्र है। वह एक सुंदर, शक्तिशाली और बुद्धिमान स्त्री थी। सुवर्णमत्स्य की कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम में त्याग भी महत्वपूर्ण होता है। सुवर्णमत्स्य का चरित्र स्त्री शक्ति का प्रतीक भी है।

 

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@aanyasingh3213 | Posted on February 12, 2024

चलिए हम आपको जानकारी देते हैं कि सुवर्ण मत्स्य कौन थी:-

थाईलैंड की रामकियेन रामायण और कंबोडिया की रामकेर रामायण में रावण की बेटी का उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार रावण की तीन पत्नियों में सात बेटे थे। जिनमें से पहली पत्नी मंदोदरी से दो बेटे मेघनाथ और अक्षय कुमार थे। और दूसरी पत्नी धन्य मालिनी से अतिकाय  और त्रिशिरा नाम के दो बेटे थे। और तीसरी पत्नी से प्रहस्थ, नरान्तक, देवांतक, नाम के तीन बेटे थे  दोनों रामायण में बताया गया है कि साथ बेटों के अलावा रावण की एक बेटी भी थी। जिसका नाम सुवर्णमछा था। जिसे स्वर्ण जलपरी भी कहा जाता है। बताया जाता है कि सुवर्णमत्स्य का शरीर सोने की तरह दमकता था। इसी वजह से उसे सुवर्णमछा कहा जाता था। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सोने की मछली। बताया जाता है कि इसी वजह से थाईलैंड और कंबोडिया में सुनहरी मछली को पूजा जाता है।

चलिए जानते हैं कि सुवर्णमछा को कैसे हुआ हनुमान जी से प्रेम :-

रामायण में लिखा गया है कि जब वानर सेवा की ओर से डाले जाने वाले पत्थर गायब होने लगे तो हनुमान जी ने समुद्र में उतर कर देखा कि आखिर यह चट्टानी कहां जा रही है उन्होंने देखा कि पानी के अंदर रहने वाले लोग पत्थर और चट्टानों को कहीं उठा कर ले जा रहे हैं उन्होंने उनका पीछा किया तो देखा कि एक मत्स्य कन्या उनको इस कार्य के लिए निर्देश दे रही है। इसके अलावा कथा में यह भी कहा गया है कि सुवर्ण मछा ने जैसे ही हनुमान जी को देखा उसे उनसे प्रेम हो गया ।

 और हनुमान जी तुरंत ही सुवर्णमछा के मन की स्थिति को भाप गए। और फिर हनुमान जी सुवर्ण मछा को समुद्र तल पर ले गए पूछा कि आप कौन है देवी। और उन्होंने बताया कि वह रावण की बेटी है।

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