वैसे भारतीय लोकतंत्र में राष्ट्रपति के लिए कोई ख़ास भूमिका नहीं है पर संविधान उनके नाम से चलता है इसलिए इस पद की गरिमा सबसे ऊपर है। आजादी के बाद भारत में कई महानुभावो ने इस पद पर अपनी भूमिका निभाई है। पर अगर सबसे खराब राष्ट्रपति के बारे में बात की जाए तो दो नाम सामने आते है। एक है फकरुद्दीन अली अहमद का और दूसरा है श्रीमती प्रतिभा पाटिल का।

सौजन्य: जागरण
* फकरुद्दीन अली अहमद इस लिए इस लिस्ट में शामिल है क्यूंकि उन्होंने देश के सबसे काले प्रकरण पर अपनी संमति की मुहर लगाईं थी। जब स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने देश में इमरजेंसी लगाने का प्रस्ताव रखा तो इस महानुभाव ने बिना कोई विरोध किये अपने हस्ताक्षर कर दिए थे।
* श्रीमती प्रतिभा पाटिल केवल एक महिला होने के नाते शायद इस पद के लिए नियुक्त की गई थी क्यूंकि अपने कार्यकाल और उसके बाद भी उन्होंने कुछ कार्य ऐसे किये जिस से उनको काफी विरोध का सामना करना पड़ा। बेफिजूल विदेश की यात्रा, सरकारी जमीन पर कब्जा और रिश्तेदारों के पीछे सरकारी खर्च कुछ ऐसे कार्य थे जिससे उनकी छवि काफी खराब हुई।
वैसे देखा जाए तो और भी कोई राष्ट्रपति ने कुछ ख़ास कार्य नहीं किये पर उन्होंने इस पद की गरिमा का जातां किया था जो की यह दोनों राष्ट्रपति नहीं कर पाए और इसीलिए उनको सबसे ज्यादा खराब राष्ट्रपति का खिताब दिया जा सकता है।