वास्तु शाश्त्र मे दिशाओ का इतना महत्व क्...

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| Updated on March 14, 2018 | Astrology

वास्तु शाश्त्र मे दिशाओ का इतना महत्व क्यों होता,और हर दिशा क्या महत्व रखती है ?

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@kanchansharma3716 | Posted on March 14, 2018

दिशाओं का वैसे तो अपना ही महत्व होता है | पर वास्तु शाश्त्र मे दिशाओ का अलग ही महत्व है | जैसे हवा,पानी,जल ,पृथ्वी और अग्नि सब ये धरती को सामान रूप से व्यवस्थित कर रहे है ,उसी प्रकार दिशाए अपना काम करती है | वास्तु मे इनका बहुत महत्व है |
आपका घर वास्तु शास्त्र के अनुसार बना हुवा हो तो घर में सुख और धन की प्रप्ति होती है। आपके जीवन से परेशानिया दूर रहती हैं। आज हम आपको बताते है की आपके भवन का मुख्य दरवाजा, बैडरूम, पूजा घर, किचन किस दिशा में होना चाहिए। आपकी तिजोरी और अलमारी कहा होनी चाहिए। वास्तुशास्त्र के उपयोग से घर में शांति बानी रहती हैं।
1. पूर्व दिशा :-
- इस दिशा के प्रतिनिधि देवता सूर्य हैं। सूर्य पूर्व से ही उदित होता है।
-यह दिशा शुभारंभ की दिशा है। जिस तरह सूर्य दिन की शुरुवात करता है उसी प्रकार पूर्व दिशा को शुभारम्भ दिशा कहते है |
-सुबह के सूरज की पैरा बैंगनी किरणें रात्रि के समय उत्पन्न होने वाले छोटे-छोटे जीवाणुओं को खत्म करके घर को ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देती है |
2 .पश्चिम दिशा :-
-यह दिशा जल के देवता वरुण की है।
-सूर्य जब अस्त होता है, तो अंधेरा हमें जीवन और मृत्यु के चक्र का एहसास कराता है। यह बताता है कि जहां आरंभ है, वहां अंत भी है।
- इस भाग में पेड -पौधे भी लगाए जा सकते हैं।
2.उत्तर दिशा :-
-इस दिशा को धन के प्रतिनिधि स्वामी कुबेर को मन जाता है |
-यह दिशा ध्रूव तारे की भी है। आकाश में उत्तर दिशा में स्थित धू्रव तारा स्थायित्व व सुरक्षा का प्रतीक है। यही वजह है कि इस दिशा को समस्त आर्थिक कार्यों के निमित्त उत्तम माना जाता है।
-भारत उत्तरी अक्षांश पर स्थित है, इसीलिए उत्तरी भाग अधिक प्रकाशमान रहता है। यही वजह है कि उत्तरी भाग को खुला रखने का सुझाव दिया जाता है, ताकि प्रकाश घर मे आ सके |
4 .दक्षिण दिशा :-
-यह दिशा मृत्यु के देवता यमराज की है।
- दक्षिण दिशा का संबंध हमारे भूतकाल और पितरों से भी है।
-इस दिशा में अतिथि कक्ष या बच्चों के लिए शयन कक्ष बनाया जा सकता है।
-दक्षिण दिशा में बॉलकनी या बगीचे जैसे खुले स्थान नहीं होने चाहिएं।
-इस स्थान को खुला न छोड़ने से यह रात्रि के समय न अधिक गरम रहता है और न ज्यादा ठंडा।
-यह भाग शयन कक्ष के लिए उत्तम होता है।
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