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14 फरवरी 2024 को, दिल्ली की सड़कों पर एक बार फिर किसानों का हुजूम उमड़ा। 'दिल्ली चलो' मार्च के तहत, देशभर से किसान अपनी मांगों को लेकर राजधानी की ओर कूच कर रहे हैं। यह आंदोलन 2020 में हुए किसान आंदोलन की अगली कड़ी है, जो 378 दिनों तक चला और कृषि कानूनों को रद्द करवाने में सफल रहा था।
आंदोलन के पीछे क्या कारण हैं?
आंदोलन का प्रभाव:
आगे क्या होगा?
यह कहना मुश्किल है कि आंदोलन का क्या परिणाम होगा। सरकार किसानों की मांगों को मानने के लिए तैयार होगी या नहीं, यह अभी देखा जाना बाकी है। आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हो, यही उम्मीद है।
निष्कर्ष:
किसान दिल्ली मार्च 2024, देश के किसानों की ज्वलंत मांगों का प्रतिबिंब है। सरकार को किसानों की समस्याओं का स्थायी समाधान ढूंढने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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यहां पर हम आपको बताने वाले हैं कि क्यों किसान दिल्ली मार्च कर रहे हैं:-
किसान कई मांगों को लेकर दिल्ली कुच कर रहे हैं। इनमें बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करना, लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के लिए मुआवजा और किसान आंदोलन में शामिल लोगों के खिलाफ मामले को वापस लेना शामिल है।
मैं आपको बता दूं कि किसानों का आज दिल्ली चलो मार्च है... दिल्ली चलो मार्च रोकने के लिए सोमवार रात किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्रियों के साथ 5 घंटे से अधिक समय तक चली बैठक बेनतीजा रही।
चलिए जानते हैं कि किसानों की प्रमुख मांगे क्या है:-
किसान कई मांगों को लेकर दिल्ली चलो कर रहे हैं। इनमें बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करना, और किसानों के लिए मुआवजा आंदोलन भी शामिल है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार आधी रात के बाद इन मुद्दों पर सहमति बन गई। लेकिन किसान अपने संकल्प पर कायम है और उन्होंने कहा कि सरकार ने 2 साल पहले जो वादे किए थे वह पूरे नहीं हुए हैं।
जैसे-जैसे दिल्ली चलो मार्च जोर पकड़ रहा है सिंधु गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा उपाय तेज कर दिए गए हैं।इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस ने शहर में प्रदर्शनकारी वाहनों के प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से बड़े कदम भी उठाए हैं।
आखिर किस क्यों कर रहे हैं विरोध चलिए हम आपको पूरी जानकारी देते हैं:-
किसान फिर से एमएसपी पर गारंटी की मांग को लेकर सड़कों पर है। और भारत के किस एक बार फिर सड़कों पर हैं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी, स्वामी नाथन समिति की रिपोर्ट पर कम बिजली संशोधन बिल और कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं। किसान मोर्चा 26 नवंबर 2020 को शुरू हुआ आंदोलन 378 दिनों में समाप्त हुआ था
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