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Technical executive - Intarvo technologies | पोस्ट किया |


कोरोना वायरस रूस में क्यों नहीं फैल सका जबकि वो चीन से सीमा भी साझा करते हैं?


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | पोस्ट किया


चीन से सटे होने के बावजूद रूस में वायरस से संक्रमित लोगों की तादाद बहुत ही कम है जिस वजह से बहुत से लोगों के मन में यह सवाल आता है कि चीन से सटे होने के बावजूद भी रूस में इस वायरस का प्रकोप देखने को क्यों नहीं मिला. यह वायरस राजनीति की भेंट चढ़ चुका है इस वायरस की राजनीति को जरा ध्यान से समझने की कोशिश कीजिए.

रूस और अमेरिका के रिश्ते हमेशा से तनावपूर्ण ही रहे हैं जैसा कि आप सभी जानते हैं चीन और अमेरिका के रिश्ते भी तनावपूर्ण हो गए हैं यह भी आप जानते हैं.रूस और चीन दोनों विश्व शक्ति बनना चाहते हैं यानी कि अमेरिका को पछाड़ना चाहते हैं. कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से मशहूर तो है ही वह ज्यादा मशहूर हो रहा है राजनीति की वजह से...रूस और चीन अमेरिका को ही इस वायरस का जिम्मेदार मान रहे हैं रूस की मीडिया ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि वायरस का जिम्मेदार अमेरिका ही है.

सोचने की बात यह है कि अगर अमेरिका ने वायरस को फैलाया ही होता तो रूस में वायरस क्यों नहीं फैला. चीन पर भी वायरस फैलाने का आरोप अमेरिका लगाता रहा है. क्योंकि सोशल मीडिया पर कई तरह के दावे पेश किए जा रहे हैं कि कोरोनावायरस फैलाने का चीन का यह दांव पेच है वह विश्व शक्ति बनने के लिए यह नया हथकंडा अपनाया जा रहा है जिससे वह अमेरिका को कमजोर करके विश्व शक्ति की और अग्रसर हो सकता है.

अगर चीन वायरस फैला भी रहा है तो उसने रूस में वायरस को क्यों नहीं फेलाया यह भी रिसर्च का विषय बना हुआ है. ऐसा नहीं है अगर चीन विश्व शक्ति बनना ही चाहता है तो क्या रूस नहीं बनना चाहेगा.

रूस की तो हमेशा अमेरिका के साथ तनातनी चलती ही आ रही है और चीन का अमेरिका के साथ माहौल तनावपूर्ण बने ही हुए थे. ऐसा भी हो सकता है कि रूस और चीन दोनों साथ में मिल गए हैं और अमेरिका को धूल चटाने के लिए कोई नई योजना बनाई हो क्योंकि रूसी मीडिया सारा दोष अमेरिका पर ही थोप रहा है कि अमेरिका ने ही इस वायरस को फैलाने का काम किया है.

चीन और रूस हमेशा अमेरिका को पछाडने के लिए अमेरिका पर लगातार जुबानी हमले करते ही रहते हैं. रूस में बहुत ही कम संख्या में वायरस फैला है ऐसा भी कहा जा सकता है कि रूस और चीन में आपसी सांठगांठ हो चुकी है रूस और चीन का साथ दे रहा है रूस ने अमेरिका को वायरस फैलाने का दोषी तो मान ही लिया है. क्योंकि वहां की मीडिया लगातार अपने प्राइम टाइम में अमेरिका को ही वायरस का दोषी मान रही है मगर सवाल यह भी उठता है कि अगर वायरस का दोषी अमेरिका ही होता तो रूस में यह वायरस क्यों नहीं फैला यानी कि चीन इस मामले में कहीं ना कहीं संदिग्ध है चीन और रूस मिलकर जरूर कोई ना कोई खिचड़ी पका रहे हैं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि उनका देश कोरोना वायरस के संक्रमण को लोगों में व्यापक पैमाने पर फैलने से रोकने में कामयाब रहा है. उनका दावा था कि ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि, रूस ने शुरू में ही पुख्ता उपाय अपनाने शुरू कर दिए थे और इसे वहां महामारी बनने से रोक दिया.
कुछ विशेषज्ञों की राय में रूस में अब तक कोरोना पॉजिटिव लोगों की तादाद बेहद कम रहने का कारण ये है कि उसने 30 जनवरी से पहले ही चीन से लगने वाली अपनी 2,600 मील लंबी सीमा को पूरी तरह बंद कर दिया था और क्वारंटाइन जोन स्थापित करने शुरू कर दिए थे. सीएनएन के मुताबिक रूस में विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थाई प्रतिनिधि और डायरेक्टर जनरल डॉक्टर मिलिता वुज्नॉविक ने बताया कि इसका कारण सिर्फ और सिर्फ टेस्ट है. रूस ने टेस्ट करने की शुरुआत जनवरी के आखिर में ही शुरू कर दी थी. उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने वायरस संदिग्धों की पहचान, उसके संपर्क में आए लोंगों की पहचान, आइसोलेशन जैसे जो भी उपाय सुझाए रूस ने उसपर तत्काल अमल किया. उनके मुताबिक 'और सोशल डिस्टेंसिंग दूसरी मुख्य वजह है, जिसे भी बाकियों की तुलना में जल्दी शुरू कर दिया गया.

जानकारी के मुताबिक तक रूस में 1,56,000 से ज्यादा टेस्ट किए जा चके थे और इसकी शुरुआत फरवरी के शुरू में ही हो चुकी थी. उसने फरवरी से ही ईरान, चीन और दक्षिण कोरिया से आने वाले यात्रियों पर नजर रखना शुरू कर दिया था.हालांकि, रूस ने यही तत्परता इटली से आने वाले लोगों पर नहीं दिखाई और रूस में जितने लोग भी पॉजिटिव पाए गए हैं, उनमें से ज्यादातर का कनेक्शन इटली से ही जुड़ा है. यहां ये बात गौर करने लायक है कि भारत में भी चीन से मामले नहीं आए हैं और जो भी आए हैं उसमें इटली का बहुत बड़ा आंकड़ा है.

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