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preeti patel

Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | पोस्ट किया |


मकर संक्रांति के दिन ही भीष्म पितामह ने क्यों छोड़ा था शरीर?


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हमारे हिंदू धर्म में कई त्योहार मनाए जाते हैं उन्हीं त्योहारों में से एक मकर संक्रांति का त्यौहार भी होता है। और कई राज्यों में इस त्यौहार को मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं मगर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रकार से इस त्यौहार को मनाया जाता है । और मकर संक्रांति के दिन सूर्य का राशि में परिवर्तन होता है और इस दिन से सभी प्रकार के शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। लेकिन मकर संक्रांति का जो खास जुड़ाव है वह महाभारत से है कहा जाता है कि भीष्म पितामह 58 दिनों तक बाणो में लेटे हुए थे लकिन वे अपने प्राण नहीं त्यागे थे लेकिन उन्हें अपने प्राण त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार था मकर संक्रांति के दिन जब सूर्य उत्तरायण में परिवर्तन हुआ तो भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्याग दिए थेउन्हें इस दिन का ही इंतजार था कहा जाता है इस दिन जिसकी मृत्यु होती है वह सीधे मोक्ष को प्राप्त होता है.।Letsdiskuss


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हिंदू धर्म में कई त्योहार मनाए जाते हैं उन्हीं त्योहारों में से एक मकर संक्रांति का त्यौहार है इस त्यौहार को भारत के अलग अलग राज्य में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है और यह बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि महाभारत के पितामह भीष्म मकर संक्रांति के दिन ही अपने प्राण त्यागे थे क्योंकि इसी दिन गंगा जी भागीरथी के पीछे पीछे चल कर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में चली गई थी और इस दिन जो भी व्यक्ति की मृत्यु होती है उसे सीधा मोक्ष प्राप्ति मिलती है तभी पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपना शरीर त्यागा था।Letsdiskuss


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