भगवान श्रीकृष्ण ने कर्ण अंतिम संस्कार किया वो भी अपने हाथों में जबकि महाभारत में कर्ण पांडवों के खिलाफ था और भगवान कृष्णा पड़ावों के साथ । सिर्फ इतना ही नहीं कर्ण को कैसे मारा जा सकता है यह भी अर्जुन को भगवान कृष्णा ने बताया था । कर्ण कौन थे ये सभी लोग जानते हैं जो लोग नहीं जानते उन्हें बता देते हैं कर्ण कुंती और सूर्य का पुत्र था । जो कि कुंती के विवाह के पहले हुआ था इसलिए उसको समाज में सम्मान नहीं मिला । समाज में कर्ण को सूत पुत्र कहा जाता था ।
जब दोपदी का विवाह होना था तब उनके पिता राजा द्रुपद ने एक स्वयम्बर रखा जिसमें उन्होंने एक मछली की आँख को निशाना बनाया । जब कर्ण इस स्वयम्बर में आया और उसने यह शर्त पूरी करना चाही तो द्रोपदी ने यह कह कर कर्ण का अपमान किया कि वह किसी सूत पुत्र से विवाह नहीं कर सकती । इसके कारण ही कर्ण को पांडवों को देखकर क्रोध था जिसके कारण उन्होंने महाभारत के समय कौरवों का साथ दिया ।
कर्ण सूर्य पुत्र होने के कारण उन्हें एक सोने का सुरक्षा कवच और सोने के कान के कुण्डल भगवान सूर्य की तरफ से प्राप्त हुआ जिससे पहनकर कभी कोई भी मनुष्य कर्ण हो किसी भी युद्ध में पराजित नहीं करा सकता था । कर्ण इतने ज्यादा दानवीर थे कि उनका आज भी अगर नाम लिए जाता है उनके नाम के आगे दानवीर लगाया जाता है ।
महाभारत में अर्जुन की जान बचाने के लिए भगवान कृष्णा ने छल से दानवीर कर्ण से उनका सुरक्षा कवच और उनके कुण्डल मांग लिए और दानवीर होने के कारण कर्ण ने वो उन्हें दे भी दिए । इसके बाद भी कृष्णा कर्ण की परीक्षा लेने पहुंचा और उन्हें कर्ण से कुछ सोने की चीज़ मांगी तो कर्ण में अपना सोने का एक दांत तोड़ कर दे दिया तो कृष्णा प्रसन्न हुए और उन्होंने कर्ण से वरदान मांगने को कहा तो कर्ण ने कृष्णा से वरदान माँगा कि उन्हें ऐसी जगह जगह जलना जहां कोई पाप न हुआ हो और उनका अंतिम संस्कार भगवान कृष्णा को ही करना होगा ।
कर्ण का यह वरदान पूरा करने के लिए कृष्णा ने कर्ण का अंतिम संस्कार अपने हाथों में कर दिया क्योकि धरती में ऐसी कोई जगह नहीं जहां पाप न हुआ हो ।
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(Courtesy : indiatvnews )