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ज्यादातर पुराने मकानों में पीपल क़े पेड़ इसलिए उगते है क्योंकि मकान की नींव में पक्षी पीपल क़े बीज में ले जाकर वही बीज खाते है और कुछ पीपल क़े बीज नींव में छोड़कर चले जाते है जिस कारण से पुराने मकानों में पीपल क़े पेड़ उग जाते है। पीपल क़े पेड़ की जड़े बहुत ही मजबूत होती है, यदि समय रहते पीपल क़े पेड़ क़ो नहीं कटवाया गया तो पीपल क़े पेड़ की जड़े मकान की दीवारों क़ो गिरा सकते है। और मकान की दीवार में दरार आने से दिवार क़े फटने का खतरा बहुत ही अधिक हो जाता है।
साथ ही पीपल क़े पेड़ मकान क़े नींव में उग गया है तो नींव से पेड़ क़ो कट दे, वरना आपक़े मकान क़े नींव क़ो पीपल पेड़ काफ़ी कमज़ोर कर देगा, जिससे आपके मकान की नींव गिर सकती है।
आपने देखा होगा कि अधिक गर्मी होने क़े कारण पीपल क़े पेड़ पुराने मकानों में उगते है तो कई बार पीपल छत की टंकी क़े नीचे भी जम जाते है। गर्मी में जितने जल्दी पेड़ उगते है उतने ही ज्यादा पीपल क़े पेड़ में पत्तीयाँ भी ज्यादा निकलती है, पीपल का पेड़ इंसानों क़ो सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देता है। इसलिए हमें कभी भी पीपल क़े पेड़ क़ो नहीं काटना चाहिए, लेकिन गलत जगह पीपल का पेड़ उग जाये तो काट देना चाहिए क्योंकि पीपल क़े पेड़ की जड़े और शाखाएं काफ़ी ज्यादा मोटी होती है, जो दूर -दूर तक शाखाएं फ़ैल जाती है।
पीपल क़े पेड़ क़ो काटना अशुभ माना जाता है, तो ऐसे में जिस जगह पीपल का पेड़ उग जाता है तो ऐसे में पीपल क़े पेड़ की पूजा करे और दूध से पीपल क़े पेड़ क़ो स्नान करवाए उसके बाद पीपल की जड़, मिट्टी सहित उखाड़ कर किसी दूसरे जगह पर लगा दे। उसके बाद जिस जगह पीपल का पेड़ लगाते है, उसमे रोज पानी डालते रहे और पीपल क़े पेड़ में जल, दूध चढ़ाते रहे और पूजा -पाठ करते रहे।
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