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Businessman | पोस्ट किया
अक्सर हमने देखा ही कि जब छोटे बच्चे खेलते है या शरारत करते है तो गोल गोल घूमते है , और उन्हें देख कर कभी कभी बड़े भी इसे आजमा ही लेते हैं लेकिन गोल घूमने में जितना मजा आता है उतनी ही परेशानी घूमना बंद करने पर होती है क्योंकि गोल घूमने के बाद, रुकने पर हमारा सिर चकराने लगता है और संतुलन बना पाना मुश्किल लगने लगता है। जिसकी वजह से कभी कभार कई परेशानियां भी होने लगती है |
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अक्सर हम बचपन में अपने दोस्तों के साथ खेलते थे और जब कभी हम घूमने वाला खेल खेलते थे तो घूमने में तो बहुत अच्छा लगता था पर उसके बाद जब रुकते थे तो ऐसा लगता था जैसे चक्कर आ गया और हम कहीं बे होश ना हो जाएं चक्कर आने का कारण यह है कि हमारा कान सीधा सर से जुड़ा है और कान का काम सिर्फ सुनने का नहीं है वह पूरे शरीर को मेंटेन करके रखता है। इसलिए जब हम गोल गोल घूमते हैं तो हमारे कान में जो द्रव होता है वह भी घूमने लगता है। और यह द्रव ही हमारे दिमाग को नियंत्रित करता है.। और जब हम गोल गोल घूमने के बाद रुक जाते हैं तो यह द्रव थोड़ी देर तक घूमते रहता है जिसकी वजह से हमें चक्कर आने लगता है।
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दोस्तों क्या आपने कभी सोचा है कि जब भी हम कभी गोल-गोल घूमते हैं तो घूमने के बाद हमें चक्कर सा महसूस क्यों होता है। जब हम घूमते हैं तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन घूमने के बाद जब थोड़ी देर के लिए रुकते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे हमें चक्कर आ गया हो और हम धरती पर गिर गए हों तो चलिए हम आपको इसके पीछे का कारण बताते हैं। हम आपको बता दें कि जब हम गोल-गोल घूमते हैं तो इसका संबंध हमारे सीधे कान से होता है। हमारे कानों के अंदर द्रव्य होता है जब हम घूमते हैं तो यह द्रव्य भी घूमने लगता है। यह द्रव्य हमारे दिमाग को नियंत्रित करने का काम करता है। जब हम गोल-गोल घूमते हैं और कुछ देर के लिए रुक जाते हैं तो यह द्रव्य कुछ देर तक घूमते रहता है। और फिर थोड़ी देर बाद यह द्रव्य भी घूमना बंद कर देता है। और फिर हम समान्य स्थिति में आ जाते हैं। और फिर हमें चक्कर आना बंद हो जाता है।
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असल में हमारे सर के घूमने का संबंध हमारे कान से होता है l हमारे कान सुनने के साथ शरीर का संतुलन भी करते हैं हमारे कान का बाहरी हिस्सा आवाज को हमारे कान के आंतरिक अंगों तक पहुंचाता है और आंतरिक है आवाज को विद्युत सिग्नल में बदलकर दिमाग तक भेजता है l आंतरिक काम की संरचना टेढ़ी-मेढ़ी होती है l जिसमें अनियमित आकार की नलिकाएं होती हैं इन नलिकाओं में लिक्विड भरा रहता है l यह द्रव हमारे शरीर को नियंत्रित बनाए रखने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है l
इसलिए जब हम गोल-गोल घूमते हैं तो हमारे कानों में मौजूद द्रव भी घूमने लगता है गोल गोल घूमने के बाद जब हम अचानक रुक जाते हैं तब यह है द्रव कुछ देर तक घूमता रहता है l जिसके कारण हमारा सर चकराने लगता है l और जब थोड़ी देर में यह द्रव घूमना बंद हो जाता है तब हम सामान्य अवस्था में आ जाते हैं l और हमें चक्कर नहीं आता है l
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