अक्सर हमने देखा ही कि जब छोटे बच्चे खेलते है या शरारत करते है तो गोल गोल घूमते है , और उन्हें देख कर कभी कभी बड़े भी इसे आजमा ही लेते हैं लेकिन गोल घूमने में जितना मजा आता है उतनी ही परेशानी घूमना बंद करने पर होती है क्योंकि गोल घूमने के बाद, रुकने पर हमारा सिर चकराने लगता है और संतुलन बना पाना मुश्किल लगने लगता है। जिसकी वजह से कभी कभार कई परेशानियां भी होने लगती है |
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लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की गोल गोल घूमने के बाद हमें चक्कर क्यों आने लगते है, आपको यह बात मालुम नहीं होगी की हमारा सर सीधा कान से जुड़ा होता है इसलिए पहले कान के बारे में थोड़ी बात करते हैं।हमारे कान सिर्फ सुनने का काम ही नहीं करते हैं बल्कि शरीर को संतुलित करना भी इनका महत्वपूर्ण काम होता है।हमारे कान का बाहरी हिस्सा आवाज को कान के आतंरिक अंगों तक पहुँचाता है और आंतरिक हिस्सा आवाज को विद्युत सिग्नल में बदलकर दिमाग तक भेजता है।
इसलिए जब हम गोल गोल घूमते है तब तो हमारे कानों में मौजूद द्रव भी घूमने लगता है और ये द्रव ही हमारे दिमाग को नियंत्रित करता है। गोल घूमने के बाद अचानक जब हम रुक जाते हैं तब ये द्रव कुछ देर तक घूमता रहता है जिसके कारण हमारा सिर चकराने लगता है और जब थोड़ी देर बाद ये द्रव घूमना बंद हो जाता है तब हम सामान्य स्थिति में आ जाते हैं। यही कारण है जिसकी वजह से जब हम गोल - गोल घूमते है तो हमें चक्कर आने लगते है |