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हमारा मस्तिष्क और आंते यह दो ऐसे अंग है, जिन्हें बेहतरीन तरीके से कार्य करने के लिए ऊर्जा की अधिक मात्रा चाहिए। जब कोई व्यक्ति अधिक कैलोरी वाला (भोजन) खाना खाता है तो मस्तिष्क तेजी से उर्जा को पाचन की तरफ स्थानांतरित करने लगता है। जिससे लाल रक्त कोशिकाओं को भोजन के टुकड़े कर शरीर में पोषक तत्वों को ले जाने के लिए भेजता है। तब इससे हमारा शरीर सुस्त पड़ जाता है और नींद भी आने लगती है।
मस्तिष्क में जो ग्लूकोज का स्तर है, वह बढ़ने से सक्रिय हो जाते हैं और सक्रिय होते ही यह न्यूज़रॉन प्रोटीन आरेक्सिन तैयार करते हैं, वह मस्तिष्क की जागृत अवस्था को धीमे करता है, उस समय शरीर आराम करें ऐसा लगता है।
कार्बोहाइड्रेट, चिकनाई और शक्कर के पदार्थ लेने के बाद जैसे ही यह पदार्थ हमारे भीतर छोटी आंत में पहुंचते हैं, तो मस्तिष्क पूरे शरीर को तुरंत संदेश देता है कि आराम करो। इसे पैरा सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम कहते हैं। जिसका अर्थ है- खाना पचाने का समय है, और उस वक्त शरीर सुस्त पड़ता है या फिर किसी-किसी को नींद भी आने लगती है।
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