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sahil sharma

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आज तक कैलाश पर्वत पर कोई क्यों नहीं चढ़ पाया है?


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university.nakul@gmail.com | पोस्ट किया


कैलाश पर्वत, जिसे तिब्बत में स्थित माउंट कैलाश (Mount Kailash) के नाम से भी जाना जाता है, हिमालय पर्वतमाला में 6,638 मीटर (21,778 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यह पर्वत हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है। इसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है, और इसे "कैलाश मानसरोवर" के नाम से भी जाना जाता है, जो पास के पवित्र मानसरोवर झील के साथ जुड़ा हुआ है। लेकिन आज तक कोई भी इस पर्वत की चोटी पर नहीं चढ़ पाया है। इसके पीछे कई धार्मिक, भौगोलिक, और प्रशासनिक कारण हैं, जिन्हें हम विस्तार से देखते हैं।

 

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1. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

कैलाश पर्वत को कई धर्मों में अत्यंत पवित्र माना जाता है:

 

  • हिंदू धर्म: हिंदुओं के लिए यह भगवान शिव का निवास स्थान है, जहां वे अपनी पत्नी पार्वती के साथ ध्यानमग्न रहते हैं। इसे "कैलाश पर्वत" या "सुमेरु पर्वत" कहा जाता है, जो ब्रह्मांड का केंद्र माना जाता है।

  • बौद्ध धर्म: बौद्ध इसे "कांग रिनपोछे" कहते हैं और इसे बुद्ध डेमचोक (चक्रसंवर) का निवास मानते हैं।

  • जैन धर्म: जैन धर्म में इसे "अष्टपद" कहा जाता है, जहां प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को निर्वाण प्राप्त हुआ था।

  • बोन धर्म: तिब्बत के प्राचीन बोन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है।

 

इन धर्मों के अनुसार, कैलाश पर्वत पर चढ़ना अपवित्र माना जाता है। यह एक तीर्थ स्थल है, जहां लोग परिक्रमा (कौरा) करते हैं, न कि चढ़ाई। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पर्वत पर चढ़ने से पवित्रता भंग होती है और यह देवताओं का अपमान माना जाता है। इस वजह से, स्थानीय समुदाय और तीर्थयात्री चढ़ाई का समर्थन नहीं करते।

 

2. भौगोलिक और प्राकृतिक चुनौतियां

कैलाश पर्वत की भौगोलिक संरचना इसे चढ़ने के लिए बेहद कठिन बनाती है:

 

  • खड़ी चट्टानें और संरचना: कैलाश की चोटी तक पहुंचने के रास्ते बेहद खड़े और चिकने हैं। इसकी पिरामिड जैसी संरचना, जिसमें चारों तरफ लगभग 90 डिग्री की ढलान है, चढ़ाई को असंभव बनाती है।

  • मौसम की कठिनाइयां: कैलाश क्षेत्र में मौसम बहुत अनिश्चित और कठोर है। तेज हवाएं, बर्फीले तूफान, और कम ऑक्सीजन का स्तर चढ़ाई को खतरनाक बनाते हैं।

  • दूरदराज का स्थान: यह पर्वत तिब्बत के एक सुदूर क्षेत्र में स्थित है, जहां पहुंचना ही अपने आप में एक चुनौती है। सड़कें सीमित हैं, और ऊंचाई के कारण शारीरिक थकान जल्दी होती है।

 

हालांकि, ये चुनौतियां उन पर्वतारोहियों को रोकने के लिए काफी नहीं हैं, जो एवरेस्ट (8,848 मीटर) जैसी ऊंची चोटियों पर चढ़ चुके हैं। लेकिन अन्य कारणों ने इसे और जटिल बना दिया है।

 

3. प्रशासनिक और कानूनी प्रतिबंध

कैलाश पर्वत तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित है, जो चीन के नियंत्रण में है। इस क्षेत्र में चढ़ाई के लिए सख्त नियम हैं:

 

  • चीन सरकार का प्रतिबंध: चीन सरकार ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। इसका मुख्य कारण इसकी धार्मिक पवित्रता को बनाए रखना है। 2001 में, एक स्पेनिश पर्वतारोही टीम को कैलाश पर चढ़ने की अनुमति दी गई थी, लेकिन स्थानीय समुदायों और धार्मिक नेताओं के विरोध के बाद यह अनुमति रद्द कर दी गई।

  • पर्यावरण संरक्षण: कैलाश क्षेत्र को पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील माना जाता है। चढ़ाई से इस क्षेत्र की प्राकृतिक संरचना को नुकसान पहुंच सकता है, जिसके चलते सरकार ने इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित किया है।

  • सीमित पहुंच: भारत, नेपाल और अन्य देशों से तीर्थयात्रियों के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा की अनुमति तो है, लेकिन यह केवल परिक्रमा तक सीमित है। चढ़ाई के लिए कोई अनुमति नहीं दी जाती।

 

4. सांस्कृतिक और सामाजिक विरोध

कैलाश पर्वत पर चढ़ाई का विचार स्थानीय समुदायों और धार्मिक समूहों के लिए अस्वीकार्य है। तिब्बती लोग और अन्य धार्मिक समुदाय इसे एक पवित्र स्थल मानते हैं, और चढ़ाई को अपमानजनक मानते हैं। 2001 में जब स्पेनिश टीम को अनुमति दी गई थी, तब दलाई लामा और अन्य धार्मिक नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया था। इस तरह के सामाजिक दबाव के कारण भी कोई पर्वतारोही इसकी चढ़ाई का प्रयास करने से हिचकता है।

 

5. रहस्यमयी और अलौकिक मान्यताएं

कैलाश पर्वत के आसपास कई रहस्यमयी कहानियां और मान्यताएं भी जुड़ी हैं, जो लोगों को चढ़ाई से रोकती हैं:

 

  • अलौकिक शक्तियां: कुछ लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर अलौकिक शक्तियां निवास करती हैं, और जो भी इसकी चोटी पर चढ़ने की कोशिश करता है, उसे दैवीय प्रकोप का सामना करना पड़ता है।

  • समय और उम्र का प्रभाव: एक लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, कैलाश की परिक्रमा करने से समय तेजी से बीतता है, और लोग असामान्य रूप से जल्दी बूढ़े हो जाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि चढ़ाई करने वालों की मृत्यु हो सकती है।

  • रहस्यमयी संरचनाएं: कैलाश की पिरामिड जैसी संरचना और इसके आसपास की झीलों (मानसरोवर और राक्षस ताल) को लेकर कई सिद्धांत हैं, जैसे कि यह एक प्राचीन सभ्यता का केंद्र हो सकता है। इन रहस्यों ने भी लोगों को चढ़ाई से दूर रखा है।

 

6. परिक्रमा की परंपरा

कैलाश पर्वत पर चढ़ने के बजाय, तीर्थयात्री इसकी परिक्रमा करते हैं, जिसे "कौरा" कहा जाता है। यह परिक्रमा 52 किलोमीटर लंबी है और 15,000 से 18,000 फीट की ऊंचाई पर की जाती है। हिंदू और बौद्ध मान्यताओं के अनुसार, एक बार की परिक्रमा से पिछले पाप धुल जाते हैं, और 108 बार परिक्रमा करने से निर्वाण की प्राप्ति होती है। इस परंपरा के कारण चढ़ाई की जरूरत ही महसूस नहीं की जाती।

 

निष्कर्ष

कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया, क्योंकि इसके पीछे धार्मिक पवित्रता, सांस्कृतिक मान्यताएं, भौगोलिक कठिनाइयां, और कानूनी प्रतिबंध जैसे कई कारण हैं। यह पर्वत केवल एक भौतिक संरचना नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। लोग इसे सम्मान देने के लिए इसकी परिक्रमा करते हैं, न कि इसकी चोटी पर चढ़ने की कोशिश। इसकी रहस्यमयी और पवित्र प्रकृति इसे दुनिया के सबसे अनछुए और सम्मानित स्थानों में से एक बनाती है।

 


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