भारतीय सेना जहाँ नाम आता है वहां एक प्राउड फील होता है, कि हम भारतीय है | हर साल सेना दिवस 15 जनवरी को मनाया जाता है | सेना दिवस 15 जनवरी को क्यों मानते हैं आज आपको बताते हैं | भारत को आज़ादी 15 अगस्त 1947 की मिली और उसके बाद देश में काफी उथल-पुथल का माहौल हो गया | देश में हो रहे दंगे-फसाद को नियंत्रण में लाने के लिए सेना को आगे आना पड़ा और उसके लिए 15 जनवरी 1949 को लेफ्टिनेंट जनरल (बाद में फ़ील्ड मार्शल) के. एम. करियप्पा भारतीय सेना का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी | लेफ्टिनेंट जनरल के. एम. करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण के दिन को ही सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है |
भारतीय सेना जिसके नाम से फ़क्र महसूस होता है | भारतीय सेना के वीर जवानों में सिर्फ मर मिटने का ज़ज़्बा ही नहीं बल्कि दुश्मनों को मारने की हिम्मत भी है | दुनिया के कितनी त्यौहार होते हैं, पर हमारी सेना के सारे त्यौहार सरहद पर ही मनाये जाते हैं | उनके लिए उनके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य सिर्फ देश की सुरक्षा है |
इस वर्ष सेना दिवस के दिन इतिहास में पहली बार कुछ ऐसा होने जा रहा है, जो आज तक कभी नहीं हुआ | इस साल सेना दिवस के दिन आर्मी सर्विस कोर 23 साल के बाद फिर से आर्मी डे की परेड में शामिल होगा | साथ ही इस साल की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सेना दिवस के इस मौके पर आर्मी परेड का नेतृत्व एक महिला अफसर करेंगी।
ऐसा कभी आज तक नहीं हुआ | ये बहुत ही फ़क्र की बात है कि एक महिला अफसर लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी आर्मी सर्विस कोर के 144 जवानों को लीड करेंगी और आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत इस परेड की सलामी लेंगे।
(Courtesy : rediff.com )