हां, लेकिन पूरी तरह से नहीं – रणनीतिक बदलाव होंगे:
खर्च में बढ़ोतरी:
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1-2% टर्नओवर का योगदान कंपनीज़ के लिए ₹100-200 करोड़ सालाना का अतिरिक्त खर्च है। उदाहरण के लिए, अगर Swiggy का टर्नओवर ₹10,000 करोड़ है, तो ₹100-200 करोड़ अतिरिक्त देने होंगे।
बिजनेस मॉडल में कैसे बदलाव आएंगे?
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कमीशन कम हो सकते हैं: डिलीवरी पार्टनर्स को मिलने वाला प्रति ऑर्डर कमीशन 10-15% तक घटाया जा सकता है ताकि सोशल सिक्योरिटी का खर्च निकले।
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कस्टमर पर पास: डिलीवरी चार्जेज़ या सब्सक्रिप्शन फीस में 2-3% की बढ़ोतरी हो सकती है।
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ऑटोमेशन बढ़ेगा: कंपनियां मानव कर्मचारियों से ज्यादा ड्रोन/ऑटोमेशन पर फोकस करेंगी ताकि लेबर कॉस्ट बचे।
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लॉयल्टी प्रोग्राम: जो ड्राइवर्स ज्यादा काम करेंगे, उन्हें ज्यादा लाभ मिलेगा, इससे एक तरह की रैकिंग सिस्टम बन सकता है।
सकारात्मक पक्ष:
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ये सुधार गिग वर्क को "प्रोफेशनल" बनाएंगे, जिससे ज्यादा लोग इसमें जुड़ेंगे।
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कंपनीज़ के लिए भी फायदा है क्योंकि रिटेंशन बढ़ेगा और वर्कर रिलेशन बेहतर होंगे।
निष्कर्ष: शुरुआती 1-2 साल में कंपनीज़ को कॉस्ट बढ़ेगा, लेकिन लॉन्ग-टर्म में ये मॉडल ज्यादा सस्टेनेबल और लीगिटिमेट बनेगा।