योग के अभ्यास से मानसिक रोगों को शांत किया जा सकता है | वैज्ञानिक आधार यह कहता है कि साँसों के रिदम से शरीर के भीतरी अंगो में अनुशासन है, ठीक जिस प्रकार से क्रोध की अवस्था में साँसे अलग प्रकार से होती हैं |
भोजन करते हुए, निद्रा, हास्य सब अवस्थाओं में साँसे अलग-अलग प्रकार से चलती हैं | जब श्वास का संतुलन आने लगता है और साँसो पर मन टिकाकर शरीर के भीतरी अंगो में जब विश्राम आने लगता है, तो मानसिक अवस्था भी स्वस्थ होने लगती है |
श्रीमद्भागवत में भी कहा गया है सम दुःख सुःख स्वस्थः अर्थात जब सुख और दुःख की अवस्था को समान मानकर अभ्यास जीवनशैली में उतारा जाए तो वो मानसिक स्वास्थ की अवस्था होती है | इस प्रकार के अभ्यास से साँसो के रिदम पर मन को टिकाकर जब मानसिक अवस्था को शांत करने का प्रयास किया जाता है तो मानसिक स्वास्थ की पराकाष्ठा प्राप्त होती होती है |
मन खुश रहने लगेगा, मन का बोझ हटेगा और सकारात्मक वैचारिक क्षमता बढ़ जायगी | यह सभी लाभ योग के अभ्यास से आप पा सकते हैं |