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जी हां बिल्कुल बेलपत्र के पेड़ के नीचे शिवलिंग की स्थापना क्यों की जा सकती है। जो व्यक्ति बेल के पेड़ के नीचे शिवलिंग की स्थापना करता है वे जीवन में हमेशा खुश रहता है। बेल वृक्ष उत्पत्ति के संबंध में स्कंद पुराण में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोंछ कर फेंका जिस की कुछ बूंदे मंदार पर्वत पर आ गिरी थी इसलिए मान्यता है कि उन्हीं से बेल वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तने में महेश्वरी, पत्तियों में पार्वती समाहित होती है। कहा जाता है कि बेल वृक्ष के काँटों मे कई सारी शक्तियां पाई जाती है।
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(क्या बेल पत्र के पेड़ के नीचे शिवलिंग की स्थापना की जा सकती है?) तो क्यों नहीं बिल्कुल की जा सकती है बेलपत्र का पेड़ भारत में अत्याधिक महत्व माना जाता है। शिव की पूजा में बेलपत्र का होना आवश्यक है। ऐसा कहा जाता है कि शिवजी की पूजा में बेलपत्र चढ़ाने से शिवजी अत्यधिक प्रसन्न होते हैं। बेलपत्र के बिना वैसे पूजा अधूरी भी मानी जाती है। बेलपत्र के पेड़ के बारे में हमारे कुछ पुराणों में कहा गया है की इसकी जो उत्पत्ति है वह देवी पार्वती द्वारा की गई है। एक बार माता पार्वती अपने माथे से निकला हुआ पसीना को पोछकर फेंकी और वह फेंका हुआ पसीना एक मंदार पर्वत पर जा गिरा तभी उस जगह से इस बेलपत्र की उत्पत्ति हुई थी। कहा जाता है कि इस बेलपत्र को घर पर लगाने से जीवन में आपत्ति नहीं आती खुशियां रहती हैं। इस वृक्ष की जड़ से लेकर तने पत्तियां फल आदि पूजा के काम में आता है इस ब्रिज से निकलने वाला फल बेल होता है वह खाने में भी स्वादिष्ट रहता है इतना ही नहीं बल्कि यह हमारे शरीर के लिए एक फायदेमंद भी है जैसे पेट की समस्या गैस कब्ज आदि हो तो बेल से जूस निकालकर उसे पीने से हमारी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। इसलिए कहा जाए तो यह वृक्ष एक शक्तिशाली वृक्ष के रूप में है।
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