अनियंत्रित तनाव एक समस्या है। क्रॉनिक तनाव मस्तिष्क में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन का निर्माण करता है, जो सम्यून सिस्टम को प्रभावित करने के साथ ही मस्तिष्क को कम सक्रिय बनाता है, स्ट्रोक, हाइपरटेंशन, आैर डिप्रेशन का कारण बनता है। जो व्यक्ति लंबे समय तक अकेलेपन का शिकार रहता है, उसके अंदर भी कॉर्टिसोल के ये परिणाम देखने को मिल सकते हैं। अकेला व्यक्ति तनाव में जीवन व्यतीत करता है।
अकेलेपन का तनाव एक व्यक्ति के मानसिक आैर शारीरिक दोनों तरह के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। व्यक्ति को किसी भी काम को करने का मन नहीं करता। खाना बनाने आैर खाने का तो बिल्कुल नहीं। यही वजह है कि लगातार उसके शारीरिक स्वास्थ्य में कमी आती है आैर वह कमजोरी महसूस करता है।
अकेलापन उसकी याददाश्त आैर सीखने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। किसी का साथ न मिलने की वजह से उसके जीवन में कुछ ऐसा नहीं रहता जिसे वह याद रखे।
किसी भी विषय पर निर्णय लेने में उसे दिक्कत होने लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह खुद को अकेला महसूस करता है आैर उसे लगता है कि वह किसी काम का नहीं है। फिर निर्णय लेना तो जीवन का बड़ा काम है।
लंबे समय तक अकेलेपन की वजह से वह व्यक्ति एंटी- सोशल किस्म का हो जाता है। यदि कोई दूसरा उसके करीब जाने की कोशिश भी करता है तो वह उसे अपने पास नहीं आने देता। उसे लगता है कि यदि कोई उसके पास आ रहा है तो इसक कारण जरूर उसका अपना स्वार्थ होगा।
लंबा तनाव अंतत: आत्महत्या के तौर पर सामने आता है। उसके मन में यह भावना आ जाती है कि उसके जीवन का कोई लक्ष्य नहीं है। कोई भी उसका अपना नहीं है तो उसके जीने का क्या अर्थ है। बस यही भावना, उसके आत्महत्या करने पर उकसाती रहती है।