कैसे हुई राहु और केतु की उत्पत्ति ? - letsdiskuss
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राहुल ओबरॉय

Engineer,IBM | पोस्ट किया | ज्योतिष


कैसे हुई राहु और केतु की उत्पत्ति ?


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Content Writer | पोस्ट किया


जब भी कोई पूजा होती है, तो गणेश पूजन के बाद नौ ग्रहों की पूजा की जाती है | उस नौ ग्रह में हफ्ते के साथ दिन और साथ ही राहु और केतु को मिलकर पुरे नौ ग्रह हो जाते हैं,जिनका पूजन किया जाता है | आज आपको बताते है, राहु-केतु की उत्पत्ति कैसे हुई | राहु और केतु एक असुर है, जो एक असुर था जिसका विष्णु भगवान ने सिर उसके धड़ से अलग कर दिया जिससे वह दो अलग शरीर हो गए |

कैसे हुआ सिर और धड़ अलग :-
राहु केतु की उत्पत्ति कैसे हुई, इसके बारें में बताते हैं | अमृत की प्राप्ति के लिए जब देवताओं और राक्षसों ने समुद्र मंथन के बारें में विचार किया तो समुद्र का मंथन हुआ | जिसके लिए भगवान विष्णु का शेषनाग मन्दराचल पर्वत पर लपेट गया जिसका एक सिरा देवताओं के हाथ और दूसरा राक्षसों के हाथ में था | समुद्र का मंथन हुआ और कई कीमती चीज़ें निकली |

समुद्र को बहुत देर तक मथने के बाद उससे अमृत निकला जो की असुरों ने देवताओं से छीन लिया | अमृत को असुरों को बचाने के लिए भगवान विष्णु मोहिनी रूप लेकर आये और उन्होंने कहा कि वो देवताओं और असुरों को बराबरी से अमृत पान करवाएगी | सब मान गए पर जब भी भगवान विष्णु जिन्होंने मोहिनी रूप लिया था वो देवताओं को पिलाने के लिए अमृत का घड़ा और असुर को पिलाने के लिए विष का घड़ा | पर एक असुर ने यह सब देख लिए और वो देवता के साथ जाकर मिल गया और उसने अमृत पी लिए | जब विष्णु भगवान को यह पता चला तो वो अपने विराट रूप में आये और उन्होंने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया |

तब एक असुर के शरीर के 2 टुकड़े हो गए | इसके बाद उसके उस एक असुर के शरीर के 2 भाग को राहु और केतु नाम दिया गया | तो इस तरह राहु-केतु की उत्पत्ति हुई |

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