राधे-कृष्णा की कुछ दिलचस्प कहानियाँ कौन सी हैं ? - letsdiskuss
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अनीता कुमारी

Home maker | पोस्ट किया | ज्योतिष


राधे-कृष्णा की कुछ दिलचस्प कहानियाँ कौन सी हैं ?


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Content Writer | पोस्ट किया


राधे-कृष्णा ये दो नाम मानव जीवन के लिए ऐसे हैं,जो जिनके नाम एक साथ ही लिए जाते हैं | कृष्णा का नाम कभी अकेले नहीं लिया जाता | राधे-कृष्णा की कुछ कहानियाँ है, जो आपको बताते हैं |


- एक दिन भगवान श्री कृष्णा को सिर में बहुत दर्द हुआ | तो उनके दर्द को दूर करने के लिए कई वैध बुलाए गए परन्तु भगवान श्री कृष्णा का दर्द ठीक नहीं हुआ | सभी लो बहुत परेशान हुए और सभी गोपियों ने कहा कृष्णा के सिर दर्द को कम करने के लिए हमसे जो होगा वो हम करेंगे | तब भगवान कृष्णा ने कहा अगर कोई गोपी मेरे सिर में अपने चरणों की धुल लगाएगी उससे मेरा सिर दर्द ठीक होगा | यह सुन कर सारी गोपियाँ पीछे हट गई | सभी लोग यह सोचने लगी कि अगर हमने ऐसा किया तो हम नर्क में जाएंगे | इसके लिए उन्होंने ऐसा करने से मन कर दिया | भगवान कृष्णा के सिर में दर्द है, और उनका दर्द किसी गोपी के चरणों की धुल कृष्णा के माथे पर लग कर ठीक होगा इतना जब राधा जी ने सुना तो उन्होंने एक पल भी कुछ नहीं सोचा अपने पैरों से धुल उठाई और जाकर भगवान कृष्णा के सिर पर लगा दी | जिससे भगवान कृष्णा का सिर दर्द ठीक हो गया |

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- राधा-कृष्णा का प्रेम इतना अटूट है, जिसके आगे खुद कृष्णा की पत्नी रुक्मणि तक ने अपना सिर झुका लिया | एक बार रुकमणी ने भगवान कृष्णा को दूध पीने को दिया | दूध गरम था जैसे ही भगवान कृष्णा ने दूध पिया और वह कृष्णा का ह्रदय को लगा और उनके मुख से "है राधे " निकला | रुकमणी को बड़ा ही आश्चर्य हुआ , और उन्होंने कहा रुकमणी मेरे ह्रदय में राधा का वास है | रुक्मणि राधा जी से मिलने की इच्छा लेकर उनसे मिलने गई |

राधा जी से मिलने रुक्मणि उनके महल पहुंची और उनके द्वार पर दासी जो बड़ी ही रूपवान थी उसको देख कर रुकमणी उन्हें राधा समझ कर उनके चरण छूने आगे बड़ी तब दासी ने कहा में राधा जी की दासी हूँ, राधा जी से मिलने के लिए आपको 7 द्वार पार कर के जाना होगा | राधा के महल के 7 द्वार को पार करते समय रुकमणी मन में यही सोच रही थी कि जिनकी दासियाँ इतनी रूपवान है, वो रानी कितनी रूपवान होगी |

जब 7 दरवाजे पार कर के रुकमणी ने राधा जी को देखा तो राधा जी बहुत ही साधारण वस्त्र में बैठी हुई थी और उनके शरीर में जले के निशान बने थे | रुकमणी ने पूछा ये जले के निशान कैसे हुए आपको तब राधा जी ने कहा "रुकमणी जो गरम दूध तुमने कृष्णा को दिया और जिसको पीकर कृष्णा के ह्रदय से मेरा नाम निकला उस गरम दूध से में शरीर जल गया, क्योकि कृष्णा के ह्रदय में तो मैं वास करती हूँ "

यह सच्चा प्रेम है, जो साथ न रहकर भी साथ है | यह कुछ कहै है, राधे-कृष्णा की जो दिल को छू लेने वाला है |

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