ट्रेन सिर्फ दोपहर के समय ही नहीं बल्कि रात के समय भी पटरी को आराम से बदल लेती है| ट्रेन को पटरी कहाँ चेंज करना है ये उसकी मंजिल पर निर्धारित है| ट्रेन को जहां से पटरी बदलनी होती है वहीँ पर दूसरी पटरी भी जुड़ी होती है| और इन दोनों पटरियों के सिरों को टेक्नीकली स्विच कहा जाता है|
यह स्विच लेफ्ट और राईट दोनों तरफ होता है| एक स्विच पटरी पर चिपका है तो दूसरा स्विच खुला रहता है| जिसके जरिए ही ट्रेन को दूसरी पटरी पर ले जाया जाता है| इन स्विच के हिसाब से ही ट्रेन को लेफ्ट ट्रैक या राईट ट्रैक में ले जाया जा सकता है|
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इसको मैनेज करने का काम रेल मास्टर का होता है| इसको रेलवे स्टेशन से मैनेज किया जाता है| जब ट्रेन किसी स्टेशन से ट्रेन छूटती है, तो वहां से जानकारी आगे वाले स्टेशन को दी जाती है| ताकि वह उस ट्रैक को खाली रखे जहां पर ट्रेन आने वाली है या फिर जो उस ट्रेन का रूट होगा|
ट्रैक चेंज करने वाला स्विच से लगभग 180 मीटर दूर एक होम सिगनल लगा हुआ होता है| जिसकी मदद से स्टेशन मास्टर पिछले स्टेशन को ट्रेन के आने के लिये लाइन क्लियर दे देता है| जब लाइन सैट हो जाती है तो उसके बाद होम सिग्नल दिया जाता तभी ट्रेन स्टेशन के अन्दर प्रवेश करती है|
वरना होम सिग्नल न मिलने पर ट्रेन दूर कहीं इंतजार करती रहती है| इस प्रकार ट्रेन के ड्राईवर को जब सिग्नल मिलता है तो वो आगे ट्रेन को बढ़ाता है और राहगीरों को अपनी मंजिल तक पहुचता है| आपने देखा होगा कि पटरियों को जोड़ते समय बीच गैप रहता है, इस तरह पूरी ट्रैक को बिछाया जाता है|
दरसल यह गेप इसलिए होता है क्योंकि ज्यादा गर्मी के समय लोहे से बनी पटरियां ट्रेनों के भार से फैलने लगती हैं| और वहीँ दूसरी तरफ ये सर्दी के मौसम में सिकुड़ जाती है| इसलिए पटरियों को जोड़ते वक्त एक छोटा-सा गैप छोड़ दिया जाता है|
अगर पटरियों को जोड़ते समय गेप न रखा गया तो पटरियों को फैलने की जगह नहीं मिलेगी| जिससे उन पर काफी जोर पड़ेगा और ऐसे में वह क्रैक होकर टूट सकती है और ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त हो सकती है| गर्मी हो या सर्दी बरसात हो या तूफ़ान फिर भी ट्रेन अपनी गति से पटरी पर चलती है|
वो इसलिए क्योंकि ट्रेन के पहिये इस आकार में बनाये गए हैं ताकी वो पटरी पर आराम से सेट हो सके| जब ट्रेन के टायर पटरी में सेट हो जाते हैं तो ट्रेन आराम से चलती है| टायर में पटरी के अंदर रहने वाला हिस्सा बड़ा होता है, जो पटरी को जकड़कर रखता है|
तो उम्मीद है आपको समझ आया होगा कि ट्रेन पटरी कैसे बदलती है और ट्रेन कितने नियम कानून से चलती है|