नमक एक ऐसी चीज़ है जिसके बिना खाने का स्वाद अधूरा नहीं फीका हो जाता है | इतना ही नहीं बल्कि अगर इसकी मात्रा ज्यादा हो जाये तो तब भी यह नुक्सान देह है और अगर कम हो जाये तब भी यह नुक्सान देह है | साधारण शब्दों में कहा जये तो अगर नमक की मात्रा थोड़ी भी ज्यादा होते ही स्वाद बिगड़ भी जाता है। बहुत ही कम मात्रा में उपयोग होने के बावजूद नमक खाने में अपना विशेष महत्व बनाये रखता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो नमक किसी कंपनी की पैकिंग में आपके घर आता है वो असल में कहाँ और कैसे बनता है?
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नमक बनने की प्रक्रिया में सबसे बड़ा हाथ समुद्र का होता है क्योंकि भारत में बनने वाले नमक का लगभग 70% समुद्री जल से आता है। इसके अलावा भारत में कुल नमक का 28% भूमिगत समुद्री पानी से और बाकी 2% झीलों के पानी और नमक की चट्टानों से बनता है। नमक से जुड़ी अचंभित करने वाली बात ये है कि भारत में जितने भी नमक का उत्पादन होता है, उसका केवल 35% ही खाने में इस्तेमाल होता है।
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नमक बनाने के लिए नमक की ज्यादा मात्रा समुद्र के पानी को सुखाकर तैयार की जाती है। इसके लिए समुद्र के किनारे जमीन पर क्यारियां बना दी जाती हैं और उनमें समुद्र का पानी भर दिया जाता है। क्यारियों में भरे समुद्र के पानी को धूप में सुखाया जाता है। ऐसा करने से सारा पानी वाष्पित हो जाता है और क्यारियों में पानी सूखने के बाद केवल नमक ही बचता है। इस नमक को जमा कर लिया जाता है और फिर इसकी सफाई की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद ही स्वच्छ और शुद्ध नमक हमारे घरों तक पहुंच पाता है |