सीता माता का नाम सुनते ही बस एक ही नाम ध्यान में आता है , भगवान राम की पत्नी माता सीता । माता सीता वह महिला है जिन्होंने अपने ससुर का पिंडदान किया । माता सीता के बारें में आपको आज कुछ मुख्य बातें बताते हैं जिसके बारें में सभी को जानना चाहिए ।
- माता सीता मिथिला नरेश जनक की बड़ी पुत्री इसलिए सीता को जानकी भी कहा जाता है ।
- मार्गशीर्ष मास(ऑक्टूबर से नवम्बर ) शुक्ल पक्ष की पंचमी को सीता और राम का विवाह किया गया ।
- यह एक ऐसी जोड़ी हैं जिनकी कुंडली के 36 में से 36 गुण मिले परन्तु यह दोनों अधिक समय साथ नहीं रह सके ।
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- सीता बहुत ही पतिव्रता थी, भगवान राम को वनवास मिलने पर वो महलों की सुख सुविधा छोड़ कर उनके साथ वन में रहने चली गई ।
- सीता माता सिर्फ कुशल ग्रहणी ही नहीं बल्कि बाहर के काम करने वाली महिला भी थी, जैसा कि वर्तमान की महिलें हैं जो सिर्फ है में खाना ही नहीं बनती बल्कि घर को चलाने में भी सहायक हैं ।
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- सीता माता ने एक स्त्री होकर अपने ससुर का पिंडदान किया और जिस बात पर किसी को भरोसा नहीं हुआ और इस बात के चलते उन्होंने 5 लोगों को पिंडदान का साक्षी होने पर भी झूठ बोलने का श्राप दिया जिस श्राप का असर आज भी है ।
- माता सीता बहुत ही साहसी महिला थी, रावण द्वारा अपहरण होने के बाद भी उन्होंने अपना साहस और अपना धैर्य नहीं खोया । - लंका से आने के बाद माता सीता का रूप पूरी तरह बदल गया वह इतनी पवित्र थीं कि उन्होंने अपना वो रूप तक वहीं छोड़ दिया जहां रावण उन्हें अपहरण कर के ले गया था ।
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- माता सीता ने अपने पवित्र होने के लिए अग्नि परीक्षा दी और उसमें सफल भी रही ।
- भगवान राम के माता सीता को छोड़ देने के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वाल्मीकि आश्रम में रह कर अपनी ज़िंदगी बिताने लगी ।
- उनके 2 पुत्र लव और कुश उनके साथ ही रहते थे ।
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- इतनी तकलीफ सहन करने के बाद सीता ने फिर एक बार अपने पवित्र होने का प्रमाण दिया और जिस धरती से उनका जन्म हुआ वो वही समाहित ही गई ।
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