भारत त्योहारों का देश है | जहां प्रत्येक प्रांत में भांति भांति के त्यौहार मनाए जाते हैं | त्यौहार व्यक्ति को
जीवन की नीरसता से उबारते हैं | इस प्रकार त्यौहार मना कर व्यक्ति के जीवन में नए उत्साह का संचार होता
है। त्यौहार जीवन में आनंद प्रदान करते हैं।
ओणम का महत्व और इतिहासः
यह केरल का प्रसिद्ध त्योहार है। ओणम हमारे देश के दक्षिण में स्थित केरल राज्य में मनाया जाता है। ओणम
हर्षोल्लास का त्यौहार है। यह रंगों व दावतों का त्यौहार है। यह त्यौहार गरीब और अमीर सभी बड़े उत्साह के
साथ मनाते हैं। सभी लोग आपस में बैर - भाव मिटा कर पूरे आनंद से त्यौहार का आनंद लेते हैं। यह त्यौहार
भारत के राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
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प्रचलित कथाः
यह माना जाता है, कि प्राचीन काल में केरल में महाबली नाम के एक राजा थे। महाबली महादानी थे।
महाबलीपुरम में उनकी राजधानी थी। वह आकाश, पृथ्वी और पाताल तीनो लोको पर राज्य करते थे वह अपनी
प्रजा को बहुत प्यार करते थे व उसका बहुत ध्यान रखते थे। वह न्यायप्रिय व प्रजापालक थे। प्रजा उनको
भगवान के समान पूजती थी। देवता महाबली से ईर्ष्या करते थे। राजा इंद्र को डर लगा कि महाबली कहीं उनका
आसन ना छीन ले। राजा इंद्र सहायता मांगने भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने वामन
(बौने ब्राह्मण) का रूप धारण किया और वह महाबली के पास पहुंचे। उन्होंने महाबली से दान मांगा। महाबली
ने उनको वचन दिया कि वह जो कुछ मांगेंगे उनको वह मिलेगा। विष्णु भगवान ने महाबली से तीन पग भूमि
मांगी। महाबली उनको तीन पग भूमि देने के लिए तैयार हो गए। विष्णु भगवान ने एक पग में पृथ्वी-लोग,
दूसरे पग में स्वर्ग लोक, नाप लिया। अब तीसरे पग के लिए जगह नहीं बची तो महाबली ने अपना सिर
भगवान के आगे रख कर दिया। विष्णु भगवान ने अपना पैर महाबली के सिर पर रख दिया और महाबली
पाताल को चले गए। महाबली ने विष्णु से वरदान मांगा कि वर्ष में एक बार उनको प्रजा के सुख- दुख जानने
का अवसर मिले। तभी से कहा जाता है कि महाबली श्रावण मास के श्रावण नक्षत्र वाले दिन अपनी प्रजा का
हाल जानने आते हैं। इसे मलयालम में ओणम कहा जाता है। इस प्रकार ओणम महाबली के आदर में मनाया
जाता है।
- लोक नृत्य का बहुत महत्व होता है।
- कथक नृत्य का इन दिनों विशेष महत्व होता है।
- केरल वासी खूब अच्छे-अच्छे रंग-बिरंगे तड़क-भड़क वाले कपड़े पहनते हैं।
- स्त्रियाँ भी फूलों व घरों से अपने आपको खूब सजाती है |
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