अप्रैल माह में कई व्रत और त्यौहार हैं और इन सभी का अपना महत्व है | जैसा कि सबसे पहले चैत्र मास के नवरात्रे जो कि 6 अप्रैल से शुरू हैं, और नवरातों का महत्व तो सभी जानते हैं | यह नौ दिन माता शक्ति की आराधना के होते हैं | आइये अप्रैल माह के व्रत और त्यौहार के बारें में जानते हैं |
जैसा कि अमवस्या हर महीने में एक आती है | चैत्र माह में आने वाली कृष्णा पक्ष की यह अमावस्या बहुत ही महत्वपूर्ण है | मान्यता के अनुसार इस अमावस्या में व्रत और पूजन करने से पित्रों को मोक्ष की प्राप्ति होती है |
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6 अप्रैल को चैत्र नवरात्रे की शुरुआत है | हिन्दू धर्म में इस नवरात्रों का बड़ा महत्व दिया जाता है , मान्यता के अनुसार इस दिन से हिन्दुओं का नया साल शुरू होता है | साथ ही इस नवरात्रों में माँ शक्ति की उत्पत्ति और साथ ही सृष्टि की संरचना को भी माना जाता है |
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7 अप्रैल - चेटीचंड (झूलेलाल जयंती) :-
चेटीचंड त्यौहार सिंधियों का प्रमुख त्यौहार माना जाता है | इस दिन को झूलेलाल जयंती के रूप में मनाया जाता है | सिंधी समाज के अनुसार विक्रम संवत के पवित्र दिन की शुरुआत हुई थी | माना जाता है कि विक्रम संवत 1007 सन् 951 ई. में सिंध प्रांत के नसरपुर नगर में रतनराय के घर माता देवकी के गर्भ से प्रभु स्वयं एक बालक के रूप में जन्में थे जिनका नाम उदयचंद्र था और उनका जन्म पापियों के नाश के लिए था |
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13 अप्रैल - राम नवमी :-
चैत्र की नवरातों का एक और महत्व है, इस नवरात्रे के नवमें दिन भगवान राम का जन्म हुआ था | इसलिए इस दिन को राम नवमी के दिन मनाया जाता है |
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14 अप्रैल - मेष संक्रांति :-
मेष सक्रांति के दिन को भी पित्रों के तर्पण के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है | इस दिन भगवान शिव का पूजन, और साथ ही सूर्य देव का पूजा आपको बहुत ही लाभ देता है | इस दिन व्रत और पूजन करने से रुके हुए सभी काम पूरे होते हैं |
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15 अप्रैल - कामदा एकादशी :-
एकादशी हर महीने में 2 आती हैं, जिसको ग्यारस भी कहते हैं | हर एकादशी का अलग महत्व होता है, परंति इसमें पूजा केवल एक भगवान का ही किया जाता है | भगवान विष्णु का पूजन बस पूजा विधि अलग होती है, और साथ पूजा की कामना भी अलग होती है | इस व्रत से सभी प्रकार की कामना पूरी होती है, इसलिए इस व्रत को कामदा एकादशी कहते हैं |
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17 अप्रैल - प्रदोष व्रत (शुक्ल) :-
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का पूजन किया जाता है | हिन्दू धर्म में यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है | तिथि के अनुसार प्रदोष व्रत चंद्र मास मतलब अमावस्या के बाद 13 तिथि को रखा जाता है | इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पाप से मुक्ति मिल जाती है |
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19 अप्रैल - हनुमान जयंती :-
हनुमान जयंती , महाबली हनुमान के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है | हनुमान जी जो कि भगवान शिव के 11 महारुद्रावतार है, उन्होंने इस धरती में केसरी और माता अंजनी के पुत्र के रूप में जन्म लिया था | धरती में अब तक हनुमानजी होने का विश्वाश माना जाता है, क्योकि पुराणों के अनुसार हनुमानजी को भगवान राम का आशीर्वाद था कि वो कलयुग में होंगे |
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22 अप्रैल - संकष्टी चतुर्थी :-
हिन्दू धर्म में जब भी किसी शुभ काम की शुरुआत होती है, काम शुरू करने से पहले गणेश भगवान का पूजन किया जाता है | हिन्दू धर्म में इस व्रत का बहुत बड़ा महत्व है , इस दिन गणेश भगवान का व्रत और पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है | अगर आप किसी काम की शुरुआत इस दिन करते हैं तो आपको मनचाहा फल प्राप्त होगा |
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30 अप्रैल - वरुथिनी एकादशी :-
यह व्रत पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला व्रत है | वरुथिनी एकादशी वैशाख मास की कृष्ण पक्ष को आती है | इस व्रत का बहुत ही महत्व है , इस व्रत के दिन जुआ खेलना, नींद, पान, दातुन, परनिन्दा, क्षुद्रता, चोरी, हिंसा, रति, क्रोध तथा झूठ इन सभी चीज़ों का आपकी ज़िंदगी से त्याग आपके लिए बहुत शुभ फल प्रदान करता है |
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