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अव्यय :- अव्यय या अविकारी उन शब्दों को कहते हैं जिन में लिंग,वचन, पुरुषआदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता दूसरे शब्दों में व्यय ना हो उसे अव्यय कहते हैं।क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार का विकार नहीं हो सकता है यह सदैव समान होते हैं जैसे बहुत,भारी,यहां,वहां,आगे, पीछे, और, तथा, लेकिन,परंतु,वाह, धन्यवाद आदि।
उदाहरण:- मैं बहुत खाता हूं।
तुम बहुत खाती हूं।
अव्यय के कितने भेद हैं
अव्यय की परिभाषा और उदाहरण को समझने के बाद अब हम अव्यय के कितने भेद हैं इसके बारे में विस्तार से समझते हैंअव्यय के चार भेद हैं।
1) क्रिया विशेषण
2) संबंधबोधक
3) समुच्चयबोधक
4) विस्मयादिबोधक
क्रिया विशेषण:- जो शब्द क्रिया के अर्थ में विशेषता प्रकट करते हैं उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं क्रिया विशेषण को अविकारी विशेषण भी कहते हैं।जैसे- धीरे चलो वाक्य में धीरे शब्द चलो क्रिया के विशेषता बतलाता है आता धीरे शब्द क्रिया विशेषण है।
संबंधबोधक :- जो अव्यय संज्ञा और सर्वनाम के बाद आकर वाक्य के दूसरे शब्द के साथ संबंध बतलाएं उसे संबंध बोधक कहते हैं। जैसे- निकट, दूर , आगे, पीछे, अंदर,बाहर,और खिलाफ, बिना,भर आदि।
समुच्चयबोधक :- जो अव्यय क्रिया या संज्ञा विशेषता न केवल बतलाकर शब्द वाक्यांश अथवा वाक्य को जोड़ने का कार्यकर्ता है उन्हें समुश्चय अव्यय कहते हैं।
विस्मयादिबोधक :- जिन अव्यय शब्दों से हर्ष,विस्मय, शोक लज्जा, ग्लानि, आदि मनोबल प्रकट करते हैं उन्हें विस्मयादी अव्यय बोधक कहते हैं।
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