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मियावाकी वन क़े द्वारा वनरोपण करने की यह सबसे विशेष पद्धति होती है, इसकी खोज सर्वप्रथम अकीरा मियावाकी नामक जापान के एक वनस्पतिशास्त्री ने किया था। इस प्रद्धति क़े अनुसार छोटे-छोटे जगहों पर छोटे-छोटे पौधो का रोपन किया जा सकता हैं, जो साधारण पौधों की तुलना में बहुत तेज़ी क़े साथ बढ़ते हैं।
वर्ष 2014 में मियावाकी ने मियावाकी वन पद्धति का इस्तेमाल करक़े हिरोशिमा के समुद्री के किनारे पेड़ों का रोपण करकें पेड़ो की एक लम्बी दीवार खड़ी कर दी थी,इन पेड़ -पौधे क़े कारण शहर मे आने वाली सुनामी से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
इमियावाकी वन पद्धति को अपनाकर 2 फीट चौड़ी और 30 फीट लम्बी पट्टी में 100 से भी अधिक पेड़ पौधे का रोपण किया जा सकता है और विश्वभर मे प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है,इसी तकनीकी का प्रयोग करकें पेड़ -पौधों का रोपण करकें प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
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दोस्तों आज हम आपको मियाबाकी वन के बारे में बताएंगे कि आखिर मियाबाकी वन होता क्या है।इस तकनीक को शुरू करने वाले एक जापानी वनस्पति शास्त्री वैज्ञानिक है, जिनका नाम अकीरा मियावाकी है जो घने देसी जंगलों का निर्माण करने में मदद करती है, इस पद्धति के अनुसार छोटी-छोटी सभी जगह पर छोटे-छोटे पौधों का रोपण किया जाएगा जिनकी वृद्धि आम पौधों से 10 गुना अधिक होगी, और एक सबसे बड़ा लाभ मियाबाकी वन के कारण सन 2014 में प्राप्त हुआ था क्यूंकि मियावाकी जी ने इस पद्धति का इस्तेमाल करके हिरोशिमा के किनारे उठने वाले समुद्री लहरों के कारण जो सुनामी आती थी उसे इस पद्धति से बचाया जा सकता है यानी कि पेड़ लगवाने के कारण सुनामी के नुकसान से बचा जा सकता है। इसलिए हमें इस पद्धति के कारण सबसे बड़ा फायदा यही हुआ है।
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मियां बाकी वन स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र के अनुकूल इसमें देसी प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं इसमें रोग कीट आदि का प्रकोप कम होता है मियां बाकी तकनीक एक छोटी सी जगह में जंगल उगने का बेहतरीन तरीका है मियां बाकी जंगल को खास प्रक्रिया के जरिए उगाया जाता था कि यह हमेशा हरे भरे रहे। मियां वहां के पद्धति से तैयार जंगल सामान्य के मुकाबले 30 गुना ज्यादा घना होता है पारंपरिक विधि से जंगल तैयार होने में 300 वर्ष लग जाते हैं वही मियां बाकी पद्धति से दोस्त 20 से 30 वर्ष में ही जंगल तैयार हो जाता है। मियां बाकी वन वायु जल ध्वनि और मिट्टी प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करते हैं मियां बाकी विधि भारी बारिश में मिट्टी की ऊपरी परत को बहाने से रुकती है क्योंकि पेड़ एक दूसरे के करीब लगाए जाते हैं और पेड़ों का एक समय मिट्टी को कसकर पकड़ लेता है।
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आज हम आपको मियावकी वन क्या हैं और सब तो जानते होगे मियावकी वन आपको इस आर्टिकल के बारे में बताना चाहते हैं जापानी मियावकी पद्धति से उद्योग का तैयार किए जाने प्रशास के बाद राजधानी के अन्य जगह के भी इस तरह का पहल की जाएगी इस तकनीकी को शुरुआत करने के लिए एक जापानी वनस्पति शास्त्री है वैज्ञानिक जिसका नाम अकीर मियावकी इस पद्धति के अनुसार छोटी-छोटी जगहे ज्यादा पास छोटे-छोटे पौधे रोपण किया जाएगा सबसे बड़ा लाभ मियावकी करण सन 2014 में प्राप्त हुआ मियावकी पद्धति हरियाली जो लगाने की कवयाद है उसके बेहतर नतीजे देखने को मिलते हैं लेकिन अब मियावकी पद्धति से वन क्षेत्र विकसित करते है यहाँ सदाबहार फूल भी लगाए जाएंगे इससे से यहां का माहौल पर्यावरण संरक्षण से लिहाज और बेहतर होगा मियावकी पद्धति में ऐसा किया जाता है पौधारोपण मियावकी पद्धति प्रति वर्ग मीटर तीन से पांच पौधे लगाते हैं पौधे की ऊंचाई 60 से 80 सेंटीमीटर होगी
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