नाच ना आवे आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ क्या होता है? - letsdiskuss
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Krishna Patel

| पोस्ट किया | शिक्षा


नाच ना आवे आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ क्या होता है?


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आज हम इस मुहावरे का अर्थ बता रहे हैं कि नाच ना आवे आंगन टेढ़ा का अर्थ होता क्या है। यह एक प्रसिद्ध लोक पंक्ति है जो हिंदी में अक्सर इसका प्रयोग निबंध, लेख आदि मे प्रयोग किया जाता है।

प्रयोग - नाच ना आवे आंगन टेढ़ा का अर्थ यह होता है कि मेरी बहन रीता बोलती है की मेरे से बहुत अच्छा नाचते बनता है लेकिन जब नाचने के लिए कोई भी व्यक्ति उसे बोलता है तो वह बहाने बनाने लगती है कि मेरे पैर में मोच लगी हुई है.। इसी को कहते हैं की नाच ना आवे आंगन टेढ़ा ।Letsdiskuss

और पढ़े- 'अँधेरे मे रहना' इस मुहावरें का क्या अर्थ है?


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नाच ना आवे आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ - आप अपनी गलतीयों को स्वीकार नहीं करते है, और अपनी गलतियों के लिए दुसरो को दोषी ठहराते है।

मुहावरें का वाक्यों मे प्रयोग - सुरेश हमेशा अपने मित्रो से कहता कि मै बहुत अच्छी बासुरी बजता हूँ। लेकिन ज़ब उसके मित्रो ने बोला बासुरी बजाओ तो वह सही ढंग से बासुरी नहीं बजा पाया उसने बहाना बना दिया कि मेरी बासुरी खराब हो गई है, इसलिए बासुरी मे से अच्छी नहीं बज रही है, इसको कहते है नाच ना आवे आँगन देढ़ा।

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आइए आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताते हैं कि नाच ना आवे आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ क्या होता है। नाच ना आवे आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ होता है अपनी असफलताओं को स्वीकार ना करना तथा उसका दोष किसी और पर लगा देना ।

वाक्य में प्रयोग :-

मेरी एक फ्रेंड जिसका सुधा नाम है वह हमेशा यह कहते रहती है कि मेरे से बहुत अच्छा डांस करते बनता है और जब उसे नाचने के लिए कहा जाता है तो वह अपने पैरों में चोट लगने का बहाना बताने लगती है। इसी को कहते हैं नाच ना आवे आंगन टेढ़ा।Letsdiskuss


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'नाच न आवे आँगन टेढ़ा' मुहावरे का अर्थ है - अपनी असफलताओं को स्वीकार नहीं करके उसका दोष दूसरों पर डालना है।

मुहावरे का वाक्य प्रयोग – वह सब से कहती फिरती है कि वह नृत्य में माहिर है। जब उसे नृत्य करने के लिए कहा गया तो अपने पैर में मोच बता कर बहाना बना दिया। इसे कहते हैं नाच न जाने आंगन टेढ़ा।

मुहावरे का वाक्य प्रयोग – रमेश अपने आप को गणित का विद्वान समझता है। जब उसे दसवीं के कुछ प्रश्न हल करने के लिए दिए गए तो सिलेबस से बाहर के प्रश्न होने का बहाना बनाकर वहां से खिसक लिया। इसे कहते हैं नाच ना जाने आंगन टेढ़ा।

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