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राहुल श्रीवास्तव

Accountant, (Kotak Mahindra Bank) | पोस्ट किया | ज्योतिष


संकष्टी चतुर्थी व्रत का क्या महत्व है ?


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Content Writer | पोस्ट किया


हिन्दू धर्म में कई त्यौहार आते रहते हैं | वैसे भारत देश को हम त्यौहारों का देश कहें तो ये ग़लत नहीं होगा | हर महीने में त्यौहार, कभी ग्यारस, कभी पूर्णिमा, कभी कृष्णा पक्ष तो कभी शुक्ल पक्ष ऐसे कई सारे नियम है जो हिन्दू धर्म को सबसे अलग बनाते हैं |
आज हम संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व बताते हैं, इसके लिए सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि संकष्टी चतुर्थी व्रत होता क्या ?

संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या होता है :-
हर वर्ष में माघ के महीने में "कृष्णपक्ष" को चौथ(तिथि के हिसाब से 1 से 15 के बीच चौथी तिथि) पड़ती है उसको संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है | संकष्टी चतुर्थी को गणेश चौथ, तिलकुटा चौथ या फिर सकट चौथ भी कहा जाता है | इसका व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है | इस व्रत में भगवान गणेश का पूजन किया जाता है और भोग के रूप में उन्हें तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं |

Letsdiskuss (Courtesy : wikifeed.in )

भगवान श्री गणेश की साधना-अराधना का महत्व बहुत ही बड़ा है | यह व्रत हर महिला अपने बच्चे के लिए लेती है | यह व्रत मुख्य रूप से संतान के सौभाग्य और उसकी लंबी आयु के लिए किया जाता है | साथ ही इस व्रत को सुख और समृद्धि की कामना के रूप में भी किया जाता है | इस साल यह व्रत 24 जनवरी को आ रहा है |

कैसे करें इस व्रत का पूजन :-
संकट चौथ के दिन महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश जी का पूजन करती हैं, और पूरा दिन बिना खाएं पीये इस व्रत को पूरा करती हैं | पूरा दिन निर्जला व्रत लेकर शाम को गणेश जी का पूजन कर उन्हें फल-फूल, तिल, गुड़ का भोग लगाकर करती हैं | गणेश भगवान के पूजन में सबसे महत्वपूर्ण दूब चढ़ाना होता है | गणपति के सामने दीपक जलाकर गणेश जी के मंत्र का जाप करना और फिर चन्द्रमा का पूजन कर के व्रत को पूरा किया जाता है |

(Courtesy : photoartinc.com )


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संकष्टी चतुर्थी व्रत का हमारे जीवन मे बहुत महत्व है,संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश आपके संतान पर आने वाले सारे कष्टों क़ो दूर करती है, इसके साथ ही आपके वैवाहिक जीवन में तनाव क़ो भी खत्म करता है।इसके अलावा यदि आपके संतान कमजोर बुद्धि वालो क़ो आत्मविश्वास में वृद्धि भी इस व्रत क़ो करने से होती है, घर और कारोबार में आ रही परेशानियों,मांगलिक कार्य अच्छे से हो,इसलिए हमें भगवान गणेश की पूजा संकष्टी चतुर्थी वाली तिथि क़ो पूजा जरूर करना चाहिए।

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और पढ़े- विनायकी चतुर्थी का क्या महत्व है ?


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संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व:-संस्कृत भाषा में संकष्टी का अर्थ संकट या बाधा हरना होता है, इसलिए भक्तों को के बीच संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है और माना जाता है ऐसा करने से सभी दुख दूर होते हैं। भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए ये दिन सबसे शुभ माना जाता है,कहा जाता है कि यदि आप किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं। दो संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी का पूजन करने से परेशानियां और बढ़ाया दूर होते हैं। किसी भी पूजा या शुभ कार्य से पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है। यह व्रत हर महिला अपने बच्चों के लिए होती है। यह व्रत मुख्य रूप से संतान के सौभाग्य और उसकी लंबी आयु के लिए किया जाता है। साथी इस व्रत को सुख और समृद्धि की सामना के रूप में किया जाता है।

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संकष्टी चतुर्थी व्रत के महत्व के बारे में चलिए हम आपको बताते हैं जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कि संकष्टि चतुर्थी व्रत भगवान श्री गणेश को समर्पित है इस व्रत को जो भक्त सच्चे मन से करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं, इस व्रत को वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। यदि आप इस व्रत को पूरे विधि विधान के साथ पूरा करते हैं तो आपके ऊपर जो भी संकट आते हैं उन्हें भगवान श्री गणेश जी हर लेते हैं और आपको जीवन में सदैव सुख रहने का वरदान देते हैं।

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आइये हम आपको संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व बताते हैं। सबसे पहले जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का अर्थ क्या होता है। संकट को हरने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान श्री गणेश जी को समर्पित है यदि कोई भी भक्त इस व्रत को सच्चे मन से करता है तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत को करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं यदि आप सच्चे मन से भगवान श्री गणेश जी का व्रत करते हैं। इस व्रत को वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है। इस व्रत को मुख्य रूप से संतान के सौभाग्य और सुखी जीवन के लिए महिलाएं करती हैं। इसे कोई भी छोटे बच्चे औरतें, पुरुष और लड़के कर सकते हैं। और भगवान श्री गणेश आपसे खुश होकर आपके आशीर्वाद देते हैं।

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