भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में ऐसी बहुत सारी जगह है जहाँ आपको कई तरह के चाय प्रेमी मिल जाएंगे, यहाँ तक भारत के प्रधानमंत्री भी किसी समय चाय वाले थे | लेकिन हम में से कभी इस बात को किसी ने गौर किया है की आखिर इस चाय का आविष्कार हुआ कहाँ से |
(courtesy-Twinings)
किसी भी आविष्कार शब्द के पीछे गहन अध्ययन और कड़ी मेहनत होती है, तभी किसी नयी चीज़ की खोज संभव हो पाती है लेकिन जब कोई बहुत बड़ा आविष्कार अनजाने में हो जाये तो इसे किसी रोमांचक चमत्कार से कम नहीं समझना चाहिए ऐसा ही कुछ चाय के साथ भी हुआ |
तो आज जानते है कैसे चाय हम तक या हम चाय तक पहुंच पाएं जानते है चाय के अविष्कार के पीछे की कहानी -
चाय के अविष्कार की कहानी चीन से जुडी हुई है, आज से करीब 5000 साल पहले, जब एक बार चीन के सम्राट शैन नुंग अपने गार्डन में बैठे हुए थे और उनको गर्म पानी पीने की आदत थी और अचानक एक दिन उनके गार्डन के एक पेड़ की कुछ पत्तियां उनके उबले पानी में आकर गिर गयी और उस पानी का रंग बदल गया लेकिन उसमें से आने वाली खुशबू इतनी अच्छी थी कि सम्राट उसे चखे बिना नहीं रह सके।
सम्राट ने वो पानी पीया, उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया और उसे पीने से उन्हें अपने शरीर में ताज़गी और स्पूर्ति का एहसास हुआ और उस समय चीन के सम्राट ने इस अनोखे पेय को “ch’a” नाम दिया जिसका चाइनीज भाषा में अर्थ होता है- चेक करना, इन्वेस्टीगेट करना। ऐसे में इस बात में कोई दो राहें नहीं है की चाय का अविष्कार चीन में हुआ और चीन के सम्राट शैन नुंग ने इसका इजात किया |
वही साल 1610 में डच व्यापारी चीन से चाय को यूरोप ले गए और उसके बाद धीरे-धीरे चाय पूरी दुनिया के फेमस पेय पदार्थों में शामिल हो गयी | वही भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने 1834 में भारत में चाय के उत्पादन के लिए कमेटी बनाई और 1835 में असम में चाय की खेती शुरू कर दी गयी उससे पहले साल 1815 में कुछ अंग्रेज यात्रियों ने असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों को देखा जिसे वहां के कबाइली लोग पेय बनाकर पीते थे।