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गणेश भगवान को तुलसी क्यों नहीं चढ़ायी जात...

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| Updated on October 21, 2023 | science-and-technology

गणेश भगवान को तुलसी क्यों नहीं चढ़ायी जाती है?

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@meenakushwaha8364 | Posted on September 22, 2023

पौराणिक मान्यताओ क़े अनुसार गणेशजी गंगा नदी के किनारे तपस्या कर रहे थे। इसी समय धर्मात्मज की पुत्री तुलसी विवाह की इच्छा लेकर तीर्थ यात्रा क़े लिए निकली थी, तभी देवी तुलसी सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करकें गंगा नदी की किनारे पहुंच गयी। गंगा नदी क़े किनारे पर देवी तुलसी ने देखा कि गणेशजी तपस्या में लीन थे और गणेश जी क़े सभी अंगों पर चंदन लगा हुआ था। साथ ही गणेश जी क़े गले में पारिजात पुष्पों के साथ स्वर्ण-मणि रत्नों क़े हार माला पहने हुए थे।
देवी तुलसी श्रीगणेश के सुंदर स्वरूप को देखकर मोहित हो गयी। तुलसी जी क़े मन में गणेश से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हुयी। तुलसी जी ने विवाह की इच्छा से गणेश जी की तपस्या भंग कर दी। तब भगवान श्री गणेश ने तुलसी की इच्छा को जानकर खुद को ब्रह्मचारी बताकर तुलसी जी से विवाह करने को मना कर दिया। तुलसी जी क़े विवाह प्रस्ताव ठुकराने पर उन्होंने नाराज होकर गणेशजी को श्राप दिया कि उनकी एक नहीं दो विवाह होंगे। और श्री गणेश जी ने भी तुलसी जी को क्रोध मे आकर श्राप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा। एक राक्षस की पत्नी होने का श्राप सुनकर तुलसी जी ने गणेशजी मांफी मांगी। तभी से भगवान श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी चढ़ाना वर्जित है, क्योंकि गणेश जी की तपस्या भंग की थी।Loading image...

और पढ़े- गणेश जी की बहन का नाम क्या था?

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@krishnapatel8792 | Posted on September 23, 2023

क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश जी को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती है शायद आपको इसके पीछे का कारण मालूम नहीं होगा तो कोई बात नहीं चलिए हम आपको इसकी पूरी जानकारी देते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है? एक पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि भगवान श्री गणेश जी गंगा नदी के किनारे तपस्या में लेने थे और उनके शरीर पर चंदन लगा हुआ था और उन्होंने अपने गले पर पारिजात पुष्पों का स्वर्णिम हार पहने हुए थे तभी माता गंगा वहां पर पहुंचती है और भगवान श्री गणेश जी के रूप को देखकर मोहित हो जाती हैं और भगवान श्री गणेश जी की तपस्या को भंग कर देती हैं क्योंकि माता गंगा भगवान श्री गणेश जी के रूप को देखकर मोहित हो जाती है और उनसे विवाह का प्रस्ताव रखती हैं लेकिन यह प्रस्ताव भगवान श्री गणेश जी को मंजूर नहीं होता और वे माता गंगा से विवाह करने से इनकार कर देते हैं तभी माता गंगा को गुस्सा आता है और वह भगवान श्री गणेश जी को श्राप देती है कि उनका विवाह एक नहीं बल्कि दो दो लोगों से होगा तभी भगवान श्री गणेश जी को भी गुस्सा आता है और वह भी उन्हें तुलसी माता को श्राप दे देते हैं कि तुम्हारा विवाह एक राक्षस से होगा और यह भी कहते हैं कि भगवान गणेश जी के ऊपर तुलसी नहीं चढ़ाई जाएगी।

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@vandnadahiya7717 | Posted on September 25, 2023

दोस्तों आप सभी को पता है कि पहले शुभ काम हो या फिर अनुष्ठान हो तो सबसे पहले भगवान श्री गणेश जी का ही आवाहन किया जाता है लेकिन जब भगवान श्री गणेश की पूजा होती है तो उसमें तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है आज इस पोस्ट में हम आपको हो इसके पीछे का कारण बताएंगे एक बार भगवान गणेश गंगा के तट पर तपस्या में लीन थे और इस समयदेवी तुलसी विवाह के उद्देश्य से सभी तट पर घूम रही थी तभी देवी तुलसी गंगा के तट पर पहुंची उन्होंने गणेश जी को तपस्या करते हुए देखा गणेश जी अत्यंत मनमोहक लग रहे थे तभी देवी तुलसी ने गणेश जी से विवाह का प्रस्ताव रखा जिसके कारण भगवान गणेश की तपस्या भंग हो गई थी भगवान गणेश ने सीधे से तुलसी को शादी से मना कर दिया था सभी तुलसी ने भगवान श्री गणेश को श्राप दिया कि आपका एक नहीं बल्कि दो विवाह होंगे। और इस श्राप को सुनकर भगवान श्री गणेश ने तुलसी को भी श्राप दिया कि तुम्हारा विवाह एक राक्षस जाति से होगा इस बात को सुनकर देवी तुलसी ने भगवान श्री गणेश से माफी मांगी तब भगवान ने कहा कि किसी भी पूजा अनुष्ठान में तुम्हारी पूजा होगी लेकिन जब मेरी पूजा होगी तो तुम्हें नहीं चढ़ाया जाएगा तभी से श्री गणेश जी की पूजा अनुष्ठान में तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।

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और पढ़े- हम तुलसी पर जल क्यों चढ़ाते हैं ?

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@anjalipatel3903 | Posted on October 18, 2023

हिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी कार्य करने से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है।ऐसा माना जाता है कि बुधवार को पूरी विधि विधान के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है। लेकिन प्रथम पूज्य गणपति भगवान के पूजा में तुलसी इसलिए नहीं चढ़ाई जाती है। इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है।पौराणिक कहानी के अनुसार धर्मात्मज नाम का एक राजा हुआ करता था. उसकी एक बेटी थी जिसका नाम तुलसी था। तुलसी अपने विवाह की इच्छा लेकर लंबी यात्रा पर निकली कई जगह की यात्रा करने के बाद तुलसी को गंगा किनारे तप करते हुए भगवान श्री गणेश जी नजर आए तप के दौरान भगवान गणेश स्वर्ण से जडे सिंहासन पर बैठे थे।उनके समस्त अंगों पर चंदन लगा हुआ था।उनके इस रूप को देखकर माता तुलसी ने भगवान गणेश से विवाह करने का मन बना लिया तुलसी गणेश भगवान के पास गई और उनकी तपस्या भंग कर दी.। श्री गणेश इस पर नाराज हो गए। और उन्होंने तुलसी जी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया.। तुलसी इस बात पर गुस्सा हो गई। और उन्होंने गणेश जी को श्राप दे दिया तुम ब्रह्मचारी नहीं रहोगे तुम्हारे दो विवाह होंगे.। यह सुनकर गणेश ने तुलसी को श्राप दे दिया और कहा कि उनका विवाह एक असुर से होगा.।यह सुनकर तुलसी ने गणेश भगवान से माफी मांगी. इस पर गणेश भगवान ने कहा तुम सब की प्रिय होगी। तुमको सारे देवी देवताओं के पूजन में महत्व दिया जाएगा। लेकिन मेरी पूजा में तुमको चढ़ाना अशुभ होगा।

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