अपनी जरूरतों को सबसे पहले रखते हुए इतने सारे लोग आजकल इतने स्वार्थी क्यों लगते हैं? कोरोनावायरस ने न केवल हमारी आबादी को खत्म कर दिया है और जीवन को चिंताजनक स्थिति में डाल दिया है, यह चरित्र की परीक्षा भी है। एक ऐसी परीक्षा, जिसमें कुल मिलाकर हम असफल होते दिख रहे हैं। लोग मास्क पहनने, महामारी के वास्तविक तथ्य, ज़बरदस्त नस्लवाद और पुराने स्मारकों को लेकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं, जबकि यह सब दूसरों के लिए शुद्ध स्वार्थ से प्रेरित प्रतीत होता है – राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी पक्षों से आने वाली भावना। यह स्वार्थी व्यवहार कहां से आता है, संकटों की एक श्रृंखला से बढ़ गया है?
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मनुष्य इसलिए स्वार्थी होता जा रहा है, क्योंकि आज के समय हर व्यक्ति आपने बारे मे सोचता है वह किसी के बारे मे नहीं सोचता है। आपने स्वार्थ के लिए लोगो से मतलब रखता है ज़ब तक अपना काम रहता है दुसरो व्यक्तियों से अपना काम निकलवाने के लिए मतलब रखता है और ज़ब उनका अपना खुद काम निकल जाता है, तो दूसरे अन्य व्यक्ति से पूरी तरह से बात करना बंद कर देता है क्योकि ऐसे लोग स्वार्थी होते है।
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दोस्तों आपने सुना ही होगा कि मनुष्य स्वार्थी होता जा रहा है पर ऐसा क्यों हो रहा है आज इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे दरअसल आज के वर्तमान समय में मनुष्य केवल अपने बारे में ही सोचता है और अपनी जरूरतों को पाने के लिए वह किसी को भी अपना मित्र बना सकता है और जरूरत खत्म होने पर वह उसी मित्र को पहचानने से भी इंकार कर देता है इसीलिए लोग कहते हैं कि मनुष्य स्वार्थी होता जा रहा है।
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चलिए हम आपको बताते हैं कि आज कल के मनुष्य इतने अधिक स्वार्थी क्यों होते जा रहे हैं दरअसल इसके पीछे का कारण यह है कि मनुष्य अपनी भागदौड़ की जिंदगी में इतना अधिक व्यस्त हो गया है कि उसके पास खुद के लिए तो समय रहता ही नहीं तो दूसरों के लिए क्या समय निकालेगा, इसलिए आज के समय का मनुष्य खुद का काम देखता है कि पहले खुद का काम किया जाए बाद में दूसरों का हो या ना हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इसलिए कहते हैं कि आज के समय का मनुष्य स्वार्थी हो गया है।
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