एक लड़की को प्रेमिका और पत्नी के रूप में व्याख्या करना उसके सम्मान को ठेस पहुंचने जैसा लगता है. क्योकि उसकी भूमिका हमारे जीवन में रिश्तो के नाम से कही ज्यादा बड़ी है. सबसे पहले वो एक माँ है जिसने हमें जन्म दिया है. उसकी विशालता को दो शब्दों में समेट देना उसके महत्व को कम करने जैसा लगता है.
एक माँ, बहिन, पत्नी, जीवनसाथी, प्रेमिका, दोस्त न जाने कितने ही रिश्तो में वो हमारे जीवन से जुडी है पर कई बार जब वो हमारी केयर करती है, हमें डाटती है, प्यार करती है, समझती-समझाती है, हमारी सेवा करती है, हमारी रक्षा के लिए हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करती है, तब कही न कही वो एक होकर अनेक रूपों अपना फ़र्ज़ निभाती है.
एक सामाजिक दायरा "शादी के बाद" और "शादी के पहले" उसकी भूमिका को हम थोड़ा यूं समझ सकते है..
• प्रेमिका के ऊपर अपने परिवार और अपने प्रेमी की जिम्मेदारी होती है पर एक पत्नी के ऊपर दोनों परिवार और पति की जिम्मेदारी होती है.
• प्रेमिका समाज के दायरे में रहकर काम करती है और अपनी जिम्मेदारी समझती है पर एक पत्नी समाज में रहकर काम करती है.
• प्रेमिका को आप डाट सकते हो उस पर गुस्सा कर सकते हो पर एक पत्नी पर नहीं, क्योकि वो आपके घर की होम मिनिस्टर होती है जो आपके परिवार का ध्यान रखती है.
• एक प्रेमिका आपसे नाराज हो सकती है गुस्सा हो सकती है पर ज्यादा देर तकनहीं, पर एक पत्नी कभी कभी गुस्से में आपकी पिटाई भी कर सकती है चौका बेलन से ये उसका हक़ है, क्योकि आपके लिए ही तो वो सब कुछ छोड़ कर आयी है.
कभी कभी प्यार और त्याग के स्तर पर दोनों एक ही होती है...