चलिए हम आपको यादव वंश का इतिहास बताते हैं। मैं आपको बता दूं कि यादव एक भारतीय जाति है। यादव वंश का उल्लेख प्राचीन धार्मिक ग्रंथो में मिलता है। यादव वंश कुछ जीवित प्राचीन आर्य क्षत्रिय कुलों में से हैं। जिन्हें पांचजन्य नाम से जाना जाता है। इसके अलावा यादव यदि के शाही वंश के वैदिक क्षत्रिय वंश के वंशज हैं।
धार्मिक पौराणिक कथाओं के अनुसार उड़ीसा में प्रधान, यादव राजा ययाति के सबसे बड़े पुत्र यदु के वंशज हैं। इन्हें इनके पिता ने शासन करने से निष्कासित कर दिया था। क्योंकि उन्होंने ययाति की इच्छाओं को पूरा करने से इनकार कर दिया था। जिस वजह से वह विद्रोही बन गए थे। यादव वंश को अहीर भी कहा जाता है। यादव वंश अधिकतर भारत और नेपाल में पाए जाने वाला जातीय समुदाय है।
ऐसी मान्यता है कि वैदिक काल के संदर्भ में यादवों का एक गौरवशाली अतीत था। और यादव अपनी बहादुरी और कूटनीतिक ज्ञान के लिए जाने जाते थे। इसके अलावा भागवत धर्म को मुख्य रूप से अहीरों का धर्म माना जाता था। और भगवान कृष्ण स्वयं अहीर के रूप में जाने जाते थे। मध्यकालीन साहित्य में भगवान श्री कृष्ण को अहीर कहा गया है।
महाभारत काल के यादवों को वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी के रूप में जाना जाता था। और भगवान श्री कृष्णा उनके नेता थे वह सभी पेशे से गोपालक थे। और गोप नाम से प्रसिद्ध थे। हमारे भारत देश के अलावा नेपाल,श्रीलंका, पाकिस्तान,बांग्लादेश, रसिया और मध्य पूर्व में या तो मौजूद है।और इसी वजह से इन्हें दुनिया के इतिहास की सबसे बड़ी जाति भी कहा जाता है। दक्षिण भारत में कई प्राचीन मंदिरों का निर्माण यादव राजाओं ने ही किया। यादव के राजवंश का विक्रमशिला और नालंदा विश्वविद्यालय के उत्कर्ष में एक बहुत बड़ा योगदान है।
इस प्रकार मैंने आपको यहां पर यादव वंश का इतिहास बता दिया है।
