वैसे तो स्कूल के दिनों को याद कर के सबको अपनी मस्ती और अच्छे लम्हें याद आते है लेकिन मैं आज भी अपने स्कूल के कुछ दिनों को याद कर के बहुत रो पड़ता हूँ क्योंकि वो कुछ लम्हें मेरे लिए बहुत शर्मनाक और बुरे थे | या फिर आप ये कह लीजिये मैं किसी को भी अपना चेहरा दिखने के लायक नहीं रह गया था मैं अंदर तक पूरा टूट गया था और मुझमें अपने दोस्तों तक को फेस करने की हिम्मत नहीं बचीथी|
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बात तब की है जब मैं कक्षा नौ में था, मैंने कुछ गलत लोगों की संगत में आकर गलत लतो का सहारा लें लिया था और उस गलत संगत के कारण मैंने नशें का हाथ थाम लिया था | इतना ही नहीं बल्कि नशें के साथ - साथ मैंने घर मैं चोरी करफना भी शुरू कर दिया था और जब नशें में स्कूल के आस - पास घूमता रहता था तब मेरे प;ऐसे भी रोज़ - रोज़ खो जाते थे और चोरी हो जाते थे मैं कभी भी इस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया था और मैं जीवन में गलत बातों में फसता जा रहा था, यहाँ तक की मैं पूरा एक महीना स्कूल भी नहीं गया था|
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इतना कुछ होंने के बाद एक दिन अचानक मेरे स्कूल वालों ने मेरे घरवालों को फोन कर दिया और उन्हें पता चल गया की मैं स्कूल नहीं जाता और जब वह टीचर से मिलने स्कूल पहुचें टी उन्हें सब कुछ पता चल गया वह दिन स्कूल में मेरे जीवन का सबसे शर्मनाक क्षण था, और उस दिन जब मैंने अपनी माँ को स्कूल में रट हुए देखा तो मुझे एहसास हुआ मैंने अपने जीवन में कितनी गलतिया की है|